चंदौली। चकिया बार एसोसिएशन और ज्वाइंट मजिस्ट्रेट पीपी मीणा के बीच पिछले एक माह से जारी गतिरोध तो समाप्त हो गया लेकिन मामले में एक नया तथ्य सामने आया है। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट/एसडीएम ने बार एसोसिएशन के उस पत्र को झूठा और मनगढ़ंग बताया है जिसमें लिखा गया है कि एसडीएम ने धरनास्थल पर पहुंचकर अधिवक्ताओं के समक्ष अपनी गलती मानी।
एसडीएम पीपी मीणा का साफ कहना है कि जनसमर्थन नहीं मिलने से हताश होकर अधिवक्ताओं ने एक पक्षीय रूप से हड़ताल को समाप्त किया। हड़ताल का कोई ठोस कारण भी नहीं था। वकीलों की हड़ताल के दौरान भी कोर्ट सुचारु रूप से चलता रहा। लगातार चलता भी रहेगा। गरीबों के न्याय के लिए किसी पर निर्भर रहने की कोई आवश्यकता नहीं है।
पूरे मामले को समझिए
दरअसल पिछले माह चकिया के अधिवक्ताओं ने अवकाश संबंधी एक प्रस्ताव एसडीएम पीपी मीणा के समक्ष रखा, जिसे उन्होंने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि अवकाश से मुकदमे लंबित होते हैं और फरियादियों को समय से न्याय नहीं मिल पाता। इसी बात से नाराज होकर अधिवक्ता न्यायिक कार्य से विरत रहते हुए एसडीम के खिलाफ आंदोलित थे। हालांकि एसडीएम ने कोर्ट बंद नहीं होने दिया और लगातार मामलों की सुनवाई करते रहे। मंगलवार को चकिया बार एसोसिएशन के अध्यक्ष की ओर से विज्ञप्ति जारी की गई, जिसमें एसडीएम के खिलाफ चल रहे धरने को स्थगित करने की बात कही गई। लिखा कि एसडीएम ने धरनास्थल पहुंचकर अधिवक्ताओं के समक्ष अपनी गलती स्वीकार की। जबकि एसडीएम ने विज्ञप्ति पर सवाल उठाते हुए इसे झूठा और मनगढ़ंग बताया है।
बयान…
- चकिया बार एसोसिएशन का यह कहना कि मैंने अपनी गलती स्वीकार की है पूरी तरह से गलत और मनगढ़ंग है। हड़ताल की गलत थी तो आग्रह का प्रश्न ही कहां उठता है। न्यायालय न बंद हुआ ना ही आगे किसी अवरोध पर बंद होगा। गरीबों को न्याय मिलता रहेगा। – ज्वाइंट मजिस्ट्रेट पीपी मीणा
- एसडीएम धरनारत अधिवक्ताओं से मिले थे। वहां कई वकील थे। उन्होंने घटना पर खेद प्रकट किया और गलती मानी। अब इसे नकार रहे हैं तो क्या कहा जा सकता है। राजेश नारायण तिवारी, अध्यक्ष चकिया बार एसोसिएशन