अमन तिवारी की रिपोर्ट…
किसान पराली जलाने की बजाए गो वंश आश्रय स्थल को दान करें। पराली में वेस्ट डीकम्पोजर का छिड़काव करके उसे सड़ा-गला सकते हैं। फसल अवशेष को खेतों में जलाने की जगह सड़ा गला कर जैविक खाद के रूप में प्रयोग कर सकते हैं। जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है और फसल का उत्पादन भी अधिक होता है। – सुशील कुमार पटेल, जिलाधिकारी।
मिर्जापुर। पराली जलाने को लेकर शासन की बंदिश बेअसर साबित हो रही है। मिर्जापुर में पराली जलाने के आठ मामले सैटेलाइट के जरिए पकड़ में आए। कृषि विभाग ने संबंधित किसानों से जुर्माना वसूला। जिलाधिकारी सुशील कुमार पटेल ने किसानों से अपील की है कि पराली को जलाने की बजाए गोवंश आश्रय स्थलों को दान करें।
इन किसानों से वसूला गया जुर्माना
तहसील चुनार के गांव भड़ेवल में अनिकेत सिंह से 2500 रुपये, तहसील सदर के विकास खण्ड मझवां में पंचम सिंह से 2500, मड़िहान तहसील के बभनी थपनवा में तीर्थ नरायन से 15000, मड़िहान तहसील के गांव कलवारी माफी के कमलेश और सुदामा पुत्र सोहन से तिल की पराली जलाने पर 2500-2500 रुपये जुर्माना वसूल किया गया। गोरथरा में एक कृषक पारसनाथ मौर्य ने घास-फूस का ढेर जलाया थ, जिसके लिए उन्हे नोटिस दी गई। अवगत कराया गया कि अगर भविष्य में इस तरह की घटना सामने आती है तो एफआईआर दर्ज करवाई जा सकती है।
पराली न जलाएं किसान भाईः डीडी कृषि
उप निदेशक कृषि डा. अशोक उपाध्याय ने बताया कि जिलाधिकारी के निर्देशानुसार किसान भाई फसल अवशेष यानी पराली को न जलाएं। बल्कि उसे निराश्रित गोवंश आश्रय स्थल को निःशुल्क दान कर दें। पराली दान करने हेतु एकीकृत नं0 05442-256357 पर अथवा मुख्य पशु चिकित्साधिकारी के मोबाइल नंबर 8630758148 संपर्क करके अवगत करा दें, जिससे पराली उठाने की कार्यवाही कराई जाएगी। अब तक जनपद में कुल 132 क्विंटल पराली गोवंश आश्रय स्थल को दान की जा चुकी है।