प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाजीपुर के चर्चित उसरी कांड में बाहुबली एमएलसी ब्रजेश सिंह की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। जिला जज को आदेशित किया है कि अपने यहां चल रहे मुकदमे की खुद मानीटरिंग करें और प्रत्येक माह सुनवाई करते हुए एक वर्ष में इसका निस्तारण सुनिश्चित करें। इस तरह ब्रजेश सिंह की जेल से निकलने की मंशा पर पानी फिर गया है।
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ब्रजेश सिंह खुद पर लगे अन्य आपराधिम मामलों में बाइज्जत बरी हो चुके हैं। वहीं दो मामलों में न्यायालय ने उनकी जमानत अर्जी मंजर कर ली है। अब उसरी कांड के चलत ही वह जेल में बंद हैं। इस मामले में हाईकोर्ट ने उनकी जमानत अर्जी मंजूद कर ली होती तो वह तकरीबन डेढ़ दशक बाद जेल से बाहर आ गए होते। बहरहाल हाईकोर्ट में ब्रजेश सिंह की पैरवी के लिए नामचीन वकीलों की फौज लगी थी तो दूसरी ओर से बाहुबली विधायक और मुकदमा वादी मुख्तार अंसारी की पैरवी में भी नामी गिरामी वकील डंटे थे।
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हाईकोर्ट की एकल पीठ न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुना और जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा कि याची की यह दलील कि उसरी कांड के वादी मुकदमा मुख्तार अंसारी पंजाब की रोपड़ जेल में बंद हैं और कोर्ट में अपना बयान देने के लिए नहीं आ सकते संबंधित कोर्ट उनका बयान वीडिया कांफ्रेंसिंग से भी ले सकती है। कहा कि याची का न्यायालय के प्रति सहयोगात्मक इतिहास नहीं रहा है। उसरी कांड मामूली घटना नहीं है। तीन लोगों की दिनदहाड़े हत्या की गई थी।
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जानिए उसरी चट्टी कांड के बारे में
मुहम्मदाबाद कोतवाली की उसरी चट्टी पर 15 जुलाई 2001 को दिनदहाड़े मुख्तार अंसारी के काफिले पर अंधाधुंध फायरिंग की गई थी। मुख्तार अंसारी को बच गए लेकिन उनके सरकारी और निजी अंगरक्षकों सहित तीन लोग मारे गए। जवाबी हमले में एक हमलावर मनोज राय भी मारा गया था।