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चंदौलीराज्य/जिलाविधान सभा चुनाव

चकिया विधानसभा में बह रही वादों की बयार, जातीय समीकरण साधने में जुटे सभी दलों के प्रत्याशी

संवाददाता: कार्तिकेय पाण्डेय

चकिया। विधानसभा क्षेत्र में प्रत्याशी वोटरों को वायदों के सब्जबाग जरूर दिखा रहे हैं लेकिन उनका पूरा ध्यान जातीय समीकरण साधने पर है। सुरक्षित सीट पर भाजपा, बसपा व सपा के बीच मुकाबला नजर आ रहा है। भाजपा को पांच केंद्र और प्रदेश सरकार की उपलब्धियों पर भरोसा है वहीं बसपा दलित और मुस्लिम वोटों के सहारे चुनावी वैतरणी पार करने की जुगत में है। जबकि सपा पिछड़े वर्ग के वोटों के ध्रुवीकरण की उम्मीद लगाए बैठे है।

चकिया विधानसभा की सुरक्षित सीट पर भाजपा ने मौजूदा विधायक शारदा प्रसाद का टिकट काटकर कैलाश खरवार को प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतारा है। जबकि सपा ने चकिया विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक रहे जितेंद्र कुमार एडवोकेट को अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं बसपा ने विकास आजाद को टिकट दिया है। कांग्रेस पार्टी ने एक बार फिर राम सुमेर राम पर अपना दांव खेला है। इनके अलावा कई अन्य उम्मीदवार भी मैदान में है। दलित बाहुल्य क्षेत्र में 6 बार दलित, एक बार पासवान तो दो बार सोनकर उम्मीदवार चुनाव जीते हैं। पिछली बार भाजपा को मोदी लहर का फायदा मिला था इसलिए भाजपा प्रत्याशी काफी मतों के अंतर से जीते थे। भाजपा अपने कैडर क्षत्रिय, वैश्य और कुछ पिछड़ा वर्ग के वोटों की लामबंदी में लगी है। वहीं बसपा प्रत्याशी विकास आजाद मुस्लिम और दलित वोटों को अपन जीत कस मजबूत आधार मान रहे हैं। सपा को भरोसा है कि मुस्लिम, यादव, और पिछड़ा वर्ग के वोट उसकी झोली में गिरेंगे। चकिया विधानसभा से तीन दफा विधायकी का चुनाव लड़ चुके जितेंद्र कुमार मानते हैं कि सपा के परंपरागत वोटों के साथ ही उनके वर्ग का वोट उन्हें फायदा पहुंचाएगा। कुल मिलाकर सारे प्रत्याशी जातिय गणित में ही उलझे हैं।

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