चंदौली। सैयदराजा थाने में बीजेपी नेता के साथ मारपीट का मामला चंदौली सांसद और प्रदेश नेतृत्व से होते हुए सीएम तक पहुंच गया है। यही वजह है कि चंदौली पुलिस के तेवर नरम पड़े और एक रात में ही पूरी कहानी बदल गई। दारोगा और तीन आरक्षी निलंबित कर दिए गए। इसके पहले तक पुलिस आक्रामक थी। मारपीट की घटना के 24 घंटे बाद भाजपा नेता के खिलाफ संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। दारोगा के साथ बदसलूकी के आरोपित कार्यकर्ताओ को जेल भेज दिया गया। पुलिस के पलटवार से कार्यकर्ताओं में आक्रोश पनपने लगा। एसपी सहित दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग जोर पकड़ने लगी। शिकायत जैसे ही लखनऊ पहुंची पूरी तस्वीर ही बदल गई।
अपनी ही कहानी में उलझी पुलिस
मारपीट के आरोपित सैयदराजा थाने के दारोगा जयप्रकाश यादव ने बीजेपी नेता विशाल मद्धेशिया उर्फ टुन्नू कबाड़ी पर जो आरोप लगाए थे वो बेहद की चौंकाने वाले थे। एफआईआर के अनुसार टुन्नू न सिर्फ संतरी ड्यूटी में तैनात आरक्षी की इंसास रायफल छीनने लगे बल्कि अकेले ही एक प्रशिक्षित और अपने से कहीं मजबूत पुलिसकर्मी को पटक दिया और उसका गला भी दबाने लगे। इतना ही नहीं यदि टुन्नू कबाड़ी के हाथ इंसास लग जाती तो वे पूरे थाने का सफाया भी कर देते भले ही इसके पीछे कोई ठोस वजह नहीं थी। बहरहाल कहानी में मोड़ आया और सैयदराजा थाना प्रभारी ने अपनी रिपोर्ट में दारोगा और तीन सिपाहियों को दोषी ठहराया। स्वीकार किया कि उचित कार्यवाही की बजाय पुलिस कर्मियों ने गलत आचरण किया, जिससे पुलिस की छवि धूमिल हुई। बहरहाल मामला सत्ता पक्ष से जुड़ा होने की वजह से दोषी पुलिसकर्मी नप गए। वरना खाकी से सताए कितने ही बेगुनाहों की फरियाद नक्कारखाने में तूती की आवाज बनकर रह जाती है।