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वाराणसी

Varanasi News : दूसरी शादी के बाद भी विधवा बनी रहीं 14 महिलाएं, 311 स्वर्ग से ले रही थीं ‘विधवा पेंशन’, अधिकारी भी हैरान

वाराणसी : सरकार की तरफ से विधवा और निराश्रित महिलाओं की सुविधाओं और संबल प्रदान करने के लिए हर तीन माह पर एक हजार रुपए पेंशन रुप में दिया जाता है। समय-समय पर इस योजना का लाभ लेने वालों की जांच भी कराई जाती है लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इस योजना का गलत फायदा उठा रहे हैं। वाराणसी से एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जिसके बारे में जानकारी मिलने के बाद अधिकारी भी हैरान हैं। जांच में पता चला कि पति की मौत के बाद महिलाओं ने दूसरी शादी कर ली और अब भी पेंशन ले रही हैं।

इसी तरह 311 महिलाएं ऐसी मिलीं जिनकी मौत हो चुकी है। मौत हो जाने के बाद उनके खाते में पेंशन की रकम जाती रही और इसके बारे में परिवार वालों ने विभाग को सूचित तक नहीं किया। फिलहाल, जांच के बाद सच्‍चाई सामने आने के बाद सभी लोगों का नाम पात्रता सूची से काट दिया गया है। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो वाराणसी में 54012 महिलाएं विधवा पेंशन का लाभ ले रही थीं। जिला प्रबोशन विभाग द्वारा पिछले साल नियमित जांच के लाभार्थियों के आधार कार्ड को उनके पेंशन खाते से अटैच किया गया था।

पेंशन खाते से आधार कार्ड अटैच किया जाने के बाद एक बार पुन: जांच पड़ताल करनी पड़ी। ऐसे में जब जांच पड़ताल शुरू हुई तो पता चला कि 311 महिलाओं की पहली ही मौत हो चुकी है। मौत हो जाने के बाद भी उनके खाते में पेंशन की धनराशि जाती रही और परिवार वालों द्वारा विभाग को सूचना नहीं दिया गया। इतना ही नहीं जांच पड़ताल में यह भी बात सामने आई की 14 महिलाओं के पतियों की मौत हो जाने के बाद महिलाओं ने दूसरी शादी कर ली। दूसरी शादी करने के बाद उन महिलाओं द्वारा विभाग को सूचना नहीं दिया गया और दूसरी शादी करने के बाद सुहागिन होकर भी 14 महिलाएं विधवा बनकर सरकारी योजना का लाभ लेती रहीं।

जांच पड़ताल में सच्चाई सामने आने के बाद कल 325 महिलाओं की पेंशन रोक दी गई और उनका नाम काट दिया गया है। अधिकारियों का कहना है कि पहले जहां जिले में 54012 लाभार्थी विधवा पेंशन का लाभ ले रही थीं वहीं अब जिले में विधवा पेंशन के लाभार्थियों की संख्या 53687 हो गया है। वही इस बारे में जिला प्रोबेशन अधिकारी सुधाकर शरण पांडेय द्वारा मीडिया को बताया गया कि यदि विधवा महिलाएं दूसरी शादी करती हैं या फिर उनकी मौत हो जाती है तो इसकी जानकारी विभाग को जरूर दी जानी चाहिए।

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