वाराणसी। संकटमोचन मंदिर बम ब्लास्ट के आरोपी को गाजियाबाद की न्यायालय ने सोमवार को फांसी की सजा सुनाई। सोलह साल बाद फैसला आया। गाजियाबाद के जिला एवं सत्र न्यायाधीश जितेंद्र कुमार सिन्हा ने सोमवार को दोनों पक्षों को सुनने के बाद निर्णय दिया। घटना में 22 लोगों की मौत हुई थी। वहीं 75 से अधिक लोग घायल हुए थे। काशीवासियों को काफी दिनों से फैसले का इंतजार था।
सात मार्च 2006 की शाम वाराणसी के संकटमोचन मंदिर, कैंट रेलवे स्टेशन व दशाश्वमेध घाट पर बम लगाए गए थे। इसमें संकटमोचन मंदिर व कैंट रेलवे स्टेशन पर ब्लास्ट हुआ था। इसमें 22 लोगों की जान चली गई। वहीं 75 से अधिक घायल हुए थे। दशाश्वमेध घाट पर कूकर में रखा बम बरामद किया गया था। वह फटा नहीं था। इसलिए वहां कोई हताहत नहीं हुआ। घटना को लेकर वाराणसी के लंका, दशाश्वमेध, सिगरा और जीआरपी कैंट थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था। पुलिस ने अप्रैल 2006 में वलीउल्लाह को प्रयागराज के फूलपुर से गिरफ्तार किया था। वाराणसी कचहरी में किसी भी वकील ने उसका केस लड़ने से इंकार कर दिया था और पेशी के दौरान उसकी जमकर पिटाई भी की थी। इसपर हाईकोर्ट के आदेश के बाद इस मामले की सुनवाई गाजियाबाद कोर्ट में ट्रांसफर की थी। वलीउल्लाह इस समय डासना जेल में बंद है। पुलिस सोलह साल में मात्र एक ही आरोपी तक पहुंच सकी। अन्य आरोपी फरार हो गए। देश छोड़कर भाग गए अथवा भूमिगत हो गए, लेकिन आज तक पुलिस के हाथ नहीं लगे। बहरहाल, पुलिस की गिरफ्त में आए एक मात्र आरोपी को फांसी की सजा होने से डेढ़ दशक से अपनों को खोने का दर्द सह रहे काशीवासी सुकून महसूस कर रहे हैं।