
चंदौली। मुगलसराय कोतवाली पुलिस की कथित वसूली लिस्ट की विभागीय जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है आरोपितों का दावा झूठा और पुलिस का दामन साफ होता नजर आ रहा है। एक पन्ने की लिस्ट तैयार करने वाला व्यक्ति पूर्व में भ्रष्टाचार के एक मामले में जेल जा चुका पुलिस का ही आरक्षी है जबकि महिला पर आरोप है कि वह कोतवाली प्रभारी से अपने कोई निजी कार्य करवाना चाहती थी। बहरहाल एएसपी प्रेमचंद पूरे मामले की तफ्तीश कर रहे हैं। उनकी जांच करीब-करीब नतीजे तक पहुंच चुकी है। पूर्वांचल टाइम्स से बातचीत में जांच अधिकारी बनाए गए एएसपी ने बताया कि लिस्ट में जितने लोगों के नाम हैं अधिकांश से पूछताछ की जा चुकी है। एक भी व्यक्ति ने पैसा देने की बात स्वीकार नहीं की है। दो लोग काफी पहले ही मर चुके हैं। जबकि एक आपराधिक मामले में फरार चल रहा है। बकौल एएसपी गहन जांच चल रही है जल्द ही उच्चाधिकारियों को आख्या प्रस्तुत कर दी जाएगी।
वसूली लिस्ट ने ला दिया है महकमे में भूचाल
बीते दिनों चर्चित आइपीएस अमिताभ ठाकुर ने चंदौली खासकर मुगलसराय पुलिस पर सनसनीखेज आरोप लगाते हुए अपने फेसबुक पेज पर वसूली से संबंधित एक पन्ने की फोटो शेयर की। दावा किया गया कि पुलिस प्रतिमाह 50 लाख रुपये से अधिक की अवैध कमाई कर रही है। किस व्यक्ति से प्रतिमाह कितने की रकम बंधी है लिस्ट में इसका भी जिक्र है। यही नहीं आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने एडीजी जोन वाराणसी और आईजी रेंज वाराणसी से जांच की मांग भी कर दी। आइपीएस की शिकायत को गंभीरता से लिया गया। इस मामले में विभागीय जांच बैठा दी गई।
सामने आई चाौंकाने वाली कहानी
आरोप लगने के बाद शहर कोतवाल शिवानंद मिश्रा ने अपना पक्ष रखते हुए वायरल लिस्ट के पीेछे की चाौंकाने वाली कहानी बताई। लिस्ट वायरल करने से पहले मुगलसराय कोतवाल शिवानंद मिश्रा को ब्लैकमेल किया गया। दावा है कि जिस महिला ने ऐसा किया वह प्रभारी निरीक्षक के अपना कोई व्यक्तिगत काम कराना चाहती थी। इंस्पेक्टर ने नगरपालिका का मामला बताते हुए वह काम करने से साफ इंकार कर दिया। जबकि जिस व्यक्ति ने लिस्ट वायरल की वह शिवानंद मिश्रा के साथ सिगरा थाने में बतौर कांस्टेबल तैनात था और भ्रष्टाचार के एक मामले में जेल जाने के बाद से खार खाए हुए था।