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चंदौलीचुनाव 2024राज्य/जिला

…तो बनारसी ही होगा चंदौली का अगला सांसद, लोक सभा चुनाव लड़ रहे दस उम्मीदवारों में सात वाराणसी जनपद के निवासी

चंदौली लोक सभा जिले की तीन और वाराणसी की दो विधानसभाओं को जोड़ कर बनी है। रामकिशुन को छोड़ दें तो पिछले कई दशक से यहां के किसी राजनेता को सांसद बनने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ है।
  • चंदौली की राजनीतिक विरासत भी पिछड़ेपन से उबर नहीं पा रही
  • लोक सभा चुनाव लड़ रहे दस उम्मीदवारों में सात वाराणसी जनपद के निवासी
  • जिले की अधिकांशतः मूलभूत समस्याएं निराकरण के अभाव में गौण होकर रह जाती हैं

चंदौली। विकास की दृष्टि से अति पिछड़े जनपदों की सूची में शामिल चंदौली की राजनीतिक विरासत भी पिछड़ेपन से उबर नहीं पा रही। यह बिडंबना ही है कि लोक सभा जैसे बड़े चुनाव में गैर जनपद के प्रत्याशी थोपे जाते रहे हैं। तकरीबन सभी पार्टियां इस होड़ में शामिल हैं। हालिया चुनाव की बात करें तो इस बार भी चंदौली लोक सभा का सांसद वाराणसी जनपद का निवासी ही होगा। कारण प्रमुख दलों सहित कुल 10 उम्मीदवारों में सात वाराणसी जिले के रहवासी हैं। जबकि एक प्रतापगढ़ के रहने वाले हैं।

चंदौली लोक सभा जिले की तीन और वाराणसी की दो विधानसभाओं को जोड़ कर बनी है। रामकिशुन को छोड़ दें तो पिछले कई दशक से यहां के किसी राजनेता को सांसद बनने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ है। अधिकांशतः वाराणसी या अन्य जनपदों से आए पैराशूट प्रत्याशी ही लोक सभा में चंदौली का नेतृत्व करते हैं। वर्तमान लोकसभा चुनाव भी इसका अपवाद नहीं है।

10 में से सात प्रत्याशी वाराणसी जनपद के
वर्तमान लोक सभा चुनाव लड़ रहे कुल 10 उम्मीदवारों में सात वाराणसी जनपद के रहने वाले हैं। शपथ पत्र में प्रस्तुत दस्तावेजों के अनुसार सपा के विरेंद्र सिंह अर्दली बाजार वाराणसी के रहने वाले हैं तो बीजेपी के डा. महेंद्र नाथ पांडेय सारनाथ वाराणसी और बसपा के सत्येंद्र मौर्य खजुरी वाराणसी के निवासी है। इसके अलावा मौलिक अधिकार पार्टी के राजेश विश्वकर्मा भगवानपुर थाना लंका वाराणसी, समझदार पार्टी के रामगोविंद अटेसुआ वाराणसी, युग तुलसी पार्टी के शेर सिंह भदैनी वाराणसी और जयहिंद नेशनल पार्टी के संजय कुमार सिन्हा ठठेरी बाजार वाराणसी के निवासी है। सरदार पटेल सिद्धांत पार्टी के अरविंद पटेल प्रतापगढ़ जनपद से आते हैं। केवल निर्दल उम्मीदवार संतोष कुमार और भागीदारी पार्टी के शोभनाथ ही चंदौली जनपद के स्थाई निवासी हैं। यही वजह है कि जिले की अधिकांशतः मूलभूत समस्याएं निराकरण के अभाव में गौण होकर रह जाती हैं और लोग सांसद से खुद को कनेक्ट नहीं कर पाते।

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