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चंदौलीप्रशासन एवं पुलिसराज्य/जिला

चंदौली पुलिस की कलंक कथाः अवैध कारोबारियों और पुलिस के बीच के गठजोड़ का पुख्ता प्रमाण है कांस्टेबल और ट्रैक्टर चालक के बीच मारपीट की घटना

चंदौली पुलिस के हेड कांस्टेबल और ट्रैक्टर बोगा चालक के बीच लबे सड़क मारपीट का वायरल वीडियो काफी चर्चा में है। सवाल यह कि आखिर बोगा चालक में इतनी हिम्मत कहां से आई कि उसने खाकी का गिरेबान पकड़ लिया
  • चंदौली पुलिस को शर्मसार कर देने वाली कई घटनाएं एक के बाद एक सामने आई हैं
  • अवैध कारोबारियों और पुलिस के बीच के गठजोड़ का पुख्ता प्रमाण है हेड कांस्टेबल और ट्रैक्टर चालक के बीच मारपीट की घटना
  • भ्रष्टाचार रूपी दीमक का इलाज अकेले पुलिस कप्तान के बस की बात नहीं

चंदौली। हाल के दिनों में चंदौली पुलिस को शर्मसार कर देने वाली कई घटनाएं एक के बाद एक सामने आई हैं। कहीं पशु तस्करों से साठगांठ तो कहीं अवैध खनन में पुलिस की भूमिका से जुड़े वीडियो प्रमाण के तौर पर वायरल हुए हैं। लेकिन एक दिन पहले ट्रैक्टर बोगा चालक और कोतवाली के कांस्टेबल के बीच लबे सड़क हुई मारपीट की घटना ने अवैध कारोबारियों और खाकी के गठजोड़ पर एक तरह से मुहर लगा दी है। एक बात और साफ हो गई है कि सिस्टम की जड़ों को खोखला कर रहे भ्रष्टाचार रूपी दीमक का इलाज अकेले पुलिस कप्तान के बस की बात नहीं है।

आखिर क्यूं नहीं रुक पा रहा ट्रैक्टर बोगा का संचालन
चंदौली पुलिस के कांस्टेबल और ट्रैक्टर बोगा चालक के बीच लबे सड़क मारपीट का वायरल वीडियो काफी चर्चा में है। सवाल यह कि आखिर बोगा चालक में इतनी हिम्मत कहां से आई कि उसने खाकी का गिरेबान पकड़ लिया। इसका जवाब भी साफ है। प्रतिबंध के बावजूद ट्रैक्टर-बोगा चालक धड़ल्ले से चल रहे हैं। नौबतपुर से लेकर सैदपुर बलुआ तक पड़े वाले प्रत्येक थाने पर एक निश्चित रकम बंधी रहती है। बालू बिहार से आकर नौबतपुर और सैयदराजा में कई स्थानों पर डंप होता है। यहां से बोगा चालक 400 फीट और 200 फीट बालू लादकर कंदवा, धीना, कमालपुर होते हुए चहनियां-मारुफपुर की तरफ जाते हैं। वहीं दूसरा रूट धानापुर, हिंगुतरगढ़, दीया, पसहटा से चहनियां जाता है। तीसरे रास्ते की बात करें तो नईबाजार, नरैना, सकलडीहा से होकर बलुआ बार्डर तक जाता है। थानों पर एक निश्चित सुविधा शुल्क निर्धारित है। हालांकि यह पैसा थाना प्रभारियों, कुछ भ्रष्ट अधिकारियों और कारखासों में बंटता है। लिहाजा थानों के कुछ भ्रष्ट सिपाही भी बहती गंगा में अपना हाथ धोना चाहते हैं। इसलिए रास्ते में बोगा चालकों को रोककर 50 से 100 रुपये की डिमांड करते हैं। ज्यादातक कारोबारी सिपाहियों को पैसे देकर अपनी जान छुड़ा लेते हैं लेकिन कुछ मनबढ़ और संरक्षण प्राप्त चालक और कारोबारी सिपाहियों को महत्व नहीं देते लिहाजा मारपीट और विवाद की घटनाएं सामने आती रहती हैं। कुछ यही कहानी तस्करी और खनन से जुड़े अवैध कारोबार की भी है।

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