चंदौली। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अपना फैसला सुना दिया है। लेकिन जिले में अफसरों को अभी तक शासन से किसी तरह का दिशा-निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है। हालांकि कोर्ट के निर्णय के बाद गंवई राजनीति गरमा गई है। सभी सीटों पर नए सिरे से आरक्षण तय माना जा रहा है।
1995 को मूल वर्ष मानते हुए आरक्षण सूची जारी की गई थी। शासन से जिला पंचायत अध्यक्ष का आरक्षण जारी हुआ, जबकि ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत सदस्य और ब्लाक प्रमुख पदों का आरक्षण स्थानीय स्तर पर तैयार किया गया था। लेकिन उच्च न्यायालय ने 2015 को आधार वर्ष मानते हुए नए सिरे से आरक्षण जारी करने का फरमान सुना दिया है। आरक्षण प्रणाली में बदलाव से खलबली मची है। ग्राम प्रधान समेत अन्य पदों के लिए जारी पहली आरक्षण सूची में व्यापक स्तर पर परिवर्तन के आसार जताए जा रहे हैं। ऐसे में गांवों में सियासी बदलाव भी देखने को मिलेंगे। कई संभावित उम्मीदवारों के चेहरे खिल गए हैं तो कई मायूस हो गए हैं। हालांकि जिले में अधिकारियों को अभी शासनादेश का इंतजार है। जिला पंचायत राज अधिकारी ब्रह्मचारी दुबे ने बताया कि शासन से अभी कोई गाइडलाइन नहीं प्राप्त हुई है। शासन स्तर से जैसा निर्देश प्राप्त होगा आरक्षण सूची तैयार की जाएगी।
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