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कृषि लागत कम करने के लिए फसल अवशेष प्रबंधन जरूरी, कृषि विशेषज्ञों ने किसान मेला में बताया आधुनिक खेती का तरीका

 

चंदौली। मुख्यालय स्थित कृषि विज्ञान केंद्र परिसर में मंगलवार को किसान मेला का आयोजन किया गया। इसमें कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को उन्नत खेती व फसल अवशेष प्रबंधन के टिप्स दिए। विभिन्न विभागों की ओर से स्टाल लगाकर विभागीय योजनाओं के बारे में जानकारी दी गई। प्रगतिशील महिला किसानों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।

 

आचार्य नरेंद्रदेव कृषि विश्वविद्यायल आयोध्या के कुलपति डा. विजेंद्र सिंह ने कहा कि चंदौली कृषि प्रधान जनपद है। इसे धान का कटोरा कहा जाता है, लेकिन यहां उत्पादकता अपेक्षाकृत कम है। इसमें सुधार की काफी गुंजाइश है। किसान अधिक से अधिक उत्पादन के लिए उन्नत बीज का प्रयोग करें। वहीं फसल अवशेष प्रबंधन अपनाकर रासायनिक खाद पर निर्भरता को खत्म करें। इससे कृषि लागत घटेगी और उत्पादन बढ़ेगा। इससे किसानों की आय बढ़ेगी। आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय के निदेशक (प्रसार) डा. एपी राव ने कहा कि किसान खेती के साथ पशुपालन व कुक्कुट पालन करें। इससे उन्हें अतिरिक्त आय होगी। नदियों के तराई व मैदानी इलाकों में दलहनी व तिलहनी फसलों की खेती करें। दलहनी व तिलहनी फसलों का रकबा दिनोंदिन कम होता जा रहा है। इसकी डिमांड दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। ऐसे में किसानों के लिए यह फायदे का सौदा साबित होगी। केवीके प्रभारी डा. एसपी सिंह ने कहा कि किसान परंपरागत खेती की जगह आधुनिकता की ओर अग्रसर हों। क्योंकि व्यावसायिक खेती से किसानों की आय में इजाफा होगा। बागवानी, सब्जियों की खेती, मशरूम उत्पादन और पशुपालन करके किसान अच्छी आमदनी कर सकते हैं। इस दौरान जिला उद्यान अधिकारी अलका श्रीवास्तव, जिला कृषि अधिकारी बसंत कुमार दुबे,  कृषि विशेषज्ञ डा. अभयदीप गौतम,  किसान दीनानाथ श्रीवास्तव,  वीरेंद्र सिंह, शशिकांत राय,  अजय सिंह,  रतन सिंह रहे।

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