
चंदौली। बलुआ थाना क्षेत्र के महड़ौरा गांव की प्रधान संगीता सिंह के पति नित्यानंद सिंह उर्फ पंकज की हत्या बदले की आग बुझाने के लिए की गई। भाड़े के शूटरों के जरिए घटना कांे अंजाम दिलाया गया। बलुआ पुलिस ने रविवार को तड़के भगवानपुर गांव के पास मुख्य आरोपित धर्मेंद्र यादव को पकड़ लिया। उसने हत्याकांड के सभी राज उगल दिए। वह आजमगढ़ से आने के बाद पुलिस से बचने के लिए भूमिगत होने की फिराक में था।
ऐसे की गई प्रधानपति की हत्या
एक जून की सुबह महड़ौरा गांव में पंकज की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। मृतक के भाई अखिलानंद सिंह ने धर्मेंद्र समेत गांव के चार लोगों के खिलाफ नामजद व तीन अज्ञात बदमाशों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। घटना को अंजाम देने के बाद आरोपित फरार हो गए थे। रविवार की सुबह पुलिस ने धर्मेंद्र यादव को भगवानपुर गांव के पास पकड़ा। घटना में अपनी संलिप्तता स्वीकार करते हुए बताया कि पंकज सिंह के इशारे पर ही उसके चचेरे भाई व पूर्व प्रधान मनोज यादव की हत्या हुई थी। इसके आरोप में प्रधानपति जेल भी गए थे। तभी से बदला लेने की आग दिल में धधक रही थी। बीते मार्च माह में प्रधानपति जमानत पर जेल से छूटकर आए ोि तभी से उनके हत्या की साजिश रची जा रही थी। पंचायत चुनाव ने आग में घी का काम किया। दिवंगत पूर्व प्रधान मनोज यादव की पत्नी ममता यादव को चुनाव लड़ाया गया था। पंकज ने भी अपनी पत्नी संगीता सिंह को चुनाव लड़ाया। संगीता सिंह चुनाव जीत गईं। मनोज यादव के दोस्त गांव के कोटेदार परमेश्वर यादव को भी अपना कोटा हाथ से जाने का खतरा सताने लगा था। ऐसे में मनोज के भाई संतोष यादव, राजनारायण उर्फ मुन्ना यादव के साथ मिलकर किसी तरह प्रधानपति की हत्या की साजिश रची गई। धर्मेंद्र ने ही प्रधानपति की पहचान शूटरों को कराई थी। घटना से 10 दिन पहले से रेकी कर रहा था। एक जून को पंकज ट्यूबवेल पर गए थे। इसी दौरान धर्मेंद्र और परमेश्वर एक शूटर को लेकर बाइक से नकलूप के पास पहुंचे। वहीं दूसरी बाइक से संतोष दो शूटरों को लेकर आया। शूटरों ने पंकज को लक्ष्य कर फायर झोंक दिया। इससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई थी। घटना के बाद सभी आरोपित गांव से भाग निकले। धर्मेंद्र रास्ते में उतरकर आजमगढ़ चला गया। वापस लौटकर भूमिगत होने के लिए सही ठिकाना तलाश रहा था। इसी बीच पुलिस के हत्थे चढ़ गया। पुलिस टीम में प्रभारी निरीक्षक उदय प्रताप सिंह, शिवशंकर सिंह, प्रेम सिंह, अतुल सिंह, मनीष सिंह, गौरव सिंह, सूरज यादव शामिल रहे।
पुलिस को मिला था 72 घंटे का अल्टीमेटम
पंकज सिंह की हत्या पुलिस के लिए चुनौती थी। घटना से नाराज लोगों ने मुख्यालय पर हाईवे जाम कर दिया। करनी सेना सहित अन्य क्षत्रिय संगठनों ने व्यापक आंदोलन की चेतावनी दी थी। हालांकि प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों ने भरोसा दिलाया था कि 72 घंटे के भीतर आरोपितों को पकड़ लिया जाएगा। पुलिस ने एक आरोपित को पकड़ कर कुछ हद तक अपने वादे पर अमल किया है लेकिन हत्यारे अभी भी खाकी की पहुंच से दूर हैं।