
चंदौली। विशेष न्यायाधीश पाक्सो राजेंद्र प्रसाद की अदालत ने दुष्कर्म के मामले की सुनवाई करते हुए गुरुवार को आरोपी नसीर को 12 साल कठोर कारावास की सजा सुनाई। कोर्ट ने दस हजार रुपये जुर्माना भी लगाया। जुर्माने की रकम अदा न करने पर छह माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। आरोपी ने 13 साल की किशोरी को कमरे में बंदकर दुष्कर्म किया था।
चकरघट्टा थाना क्षेत्र की 13 वर्षीय पीड़िता के पिता ने 9 मई 2015 को रिपोर्ट दर्ज करायी थी। उन्होंने पुलिस को बताया था कि आरोपियों से उनका झगड़ा था। इसकी वजह से रंजिश रखते थे और इज्जत पर धावा बोलने की धमकी दे चुके थे। चार मई 2015 को घर के लोग नहीं थे। तभी आरोपितों ने बेटी का अपहरण कर लिया। काफी खोजबीन के बाद भी उसका कहीं अता-पता नहीं चला। करीब 17 दिन बाद पुलिस ने आरोपी नसीर के कब्जे से बेटी को मुक्त कराया था। वहीं पीड़िता ने बयान में बताया कि सुबह शौच के लिए जाते समय रास्ते में नसीर, शौकत, मीरहम्जा और जैनुल ने मौसी के यहां ले जाने को कहकर आटो पर बैठा लिए। उसके बाद आरोपी उसे रावर्ट्सगंज लगे गए। वहां से ट्रेन से जयपुर ले जाकर एक कमरे में 16 दिनों तक रखा। जयपुर से शौकत व मीरहम्जा वापस चले आए, लेकिन नसीर इच्छा के विरुद्ध दुष्कर्म करता था। चिल्लाने पर मुंह बंद कर देता था। अभियोजन की ओर से विशेष अधिवक्ता पाक्सो शमशेर बहादुर सिंह, अवधेशनारायण सिंह और रमाकांत उपाध्याय ने मुकदमें की पैरवी की। पुलिस ने विचेचना कर आरोप पत्र अदालत में प्रस्तुत किया था। कोर्ट ने दोष सिद्ध होने पर आरोपी जनपद बाराबंकी के रामनगर थाना क्षेत्र के सरिया मऊ निवासी नसीर को धारा-4(1) पाक्सो एक्ट में 12 साल की कठोर कारावास की सजा सुनायी। वहीं धारा-363 आईपीसी में चार साल और धारा-366 में पांच वर्ष और पांच-पांच हजार रुपया जुमार्ना भी लगाया।