चंदौली। सैयदराजा विधान सभा सीट हर बार की तरह इस दफा भी धनबल और बाहुबल का टकराव देख रही है। दिन पर दिन चुनाव रोचक होता जा रहा है। बीजेपी, बसपा और सपा के बीच मुकाबले की अटकले लगाई जा रही हैं। हालांकि कांग्रेस ने भी महिला प्रत्याशी को मैदान में उतारा है।
सपा को कमजोर कर रही बसपा
सैयदराजा में मतदाताओं की कुल संख्या तीन लाख 31 हजार 666 है। सैयदराजा में बीजेपी से विधायक सुशील सिंह, बसपा से अमित यादव लाल और सपा के मनोज सिंह डब्लू चुनाव लड़ रहे हैं। विधान सभा में रापूत मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है तो अनुसूचित, ब्राह्मण और यादव मतदाता भी ठीक-ठाक संख्या में हैं। बसपा ने यादव प्रत्याशी को मैदान में उतारकर सपा के परंपरागत वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश की है। अधिकांश ब्राह्मण और राजपूत मतदाताओं का झुकाव अभी भी बीजेपी की तरफ है। ऐसे में यहां मुकाबला काफी दिलचस्प होता जा रहा है।
सैयदराजा विधान सभा एक नजर में
सैयदराजा विधानसभा सीट 2012 में अस्तित्व में आई। इससे पहले यह चंदौली विधानसभा का हिस्सा रही। मुगलसराय, सैयदराजा व बबुरी क्षेत्र चंदौली सदर विधानसभा में सम्मिलित था। कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे पंडित कमलापति त्रिपाठी यहां से विधायक हुआ करते थे। भाजपा के शिवपूजन राम ने 1991 व 96 में दो बार जीत हासिल की। 2007 में शारदा प्रसाद ने उन्हें हराकर हार का बदला लिया। सैयदराजा विधानसभा सीट बाहुबलियों के सियासी टक्कर की गवाह रही है। 2012 के विस चुनाव में यहां प्रगतिशील मानव समाज पार्टी से माफिया डान बृजेश सिंह ने अहमदाबाद जेल में रहते हुए चुनावी मैदान में ताल ठोकी थी। निर्दल प्रत्याशी रहे मनोज कुमार सिंह डब्ल्यू ने उन्हें पटखनी दे दी थी। 2017 में इस सीट पर दिलचस्प मुकाबला रहा। भाजपा से सुशील सिंह तो बसपा से श्यामनारायण सिंह उर्फ विनीत सिंह के साथ ही सपा से मनोज सिंह चुनावी मैदान में थे। विनीत ने रांची जेल में रहते हुए चुनाव लड़ा। कड़े मुकाबले में सुशील सिंह ने जीत हासिल कर अपने चाचा की हार का बदला लिया। सुशील को 78,869 व विनीत को 64,375 वोट मिले थे।