चंदौली। मिर्जापुर स्थित स्वामी अड़गड़ानंद महाराज के सक्तेशगढ़ आश्रम में गुरुवार की सुबह जीवन उर्फ जीत बाबा ने खुद को गोली से उड़ा लिया। आत्महत्या से पहले उसने आशीष बाबा पर तमंचे से दो फायर किए। एक गोली आशीष बाबा को छूते हुए निकल गई जबकि दूसरी पेट में घुस गई। चंदौली के आरडी मेमोरियल हास्पिटल में चिकित्सकों ने जटिल आपरेशन के बाद गोली बाहर निकाल दी। आशीष बाबा अब खतरे से बाहर हैं। पेट में गोली लगने और आंत फटने के बाद भी बाबा की जान बचना किसी चमत्कार से कम नहीं है।
चिकित्सकों का दावा शरीर में घुसकर भी फटी नहीं गोली
आश्रम के दावों के अनुसार जीवन उर्फ जीत बाबा आश्रम में रसोईघर की देखरेख करते थे। उनके स्वभाव के चलते उन्हें आश्रम से निकाल दिया गया। गुरुवार को जीवन बाबा ने मुगलसराय स्टैंड से गाड़ी बुक की सक्तेशगढ़ आश्रम पहुंचे। बाबा के पास दो तमंचे और काफी संख्या में कारतूस भी थे। जीवन बाबा स्वामी अडगड़ानंद महाराज के कक्ष के पास तक पहुंच गए। यहीं आशीष बाबा उनके सामने आए और जीवन बाबा ने आशीष बाबा पर पहला फायर झोंक दिया। गोली आशीष बाबा को छूते हुए निकल गई। कुछ छर्रे बांह पर लगे। इसके तुरंत हमलावर बाबा ने दूसरी गोली दागी जो साबुत पेट के भीतर घुस गई। लहुलुहान आशीष बाबा जमीन पर गिर पड़े। इसके बाद स्वामी अड़गड़ानंद के सामने जीवन बाबा ने खुद को गोली से उड़ा लिया। चंदौली के आरडी मेमोरियल हास्पिटल के चिकित्सकों की माने तो आशीष बाबा के पेट में जो गोली घुसी थी वह फट नहीं पाई। कारतूस से साथ ही पूरी गोली भीतर घुस गई। यदि गोली फट गई होती तो आशीष बाबा का बचना मुश्किल था। लेकिन गोली का पेट में घुसने के बाद भी नहीं फटना किसी चमत्कार से कम नहीं है।