
चंदौली। वहीं हुआ जिसकी आशंका जताई जा रही थी। कमजोर नेतृत्व और जिला पंचायत सदस्यों को एकजुट करने में नाकाम समाजवादी पार्टी अध्यक्ष पद के चुनाव से पहले ही मुकाबले से बाहर होती नजर आ रही है। कुछ सदस्यों ने भीतर ही भीतर पाला बदल लिया और जो बचे थे उन्होंने बगावत का झंडा थाम लिया है। तमाम विकल्प के बावजूद निर्दल जिला पंचायत सदस्य को सपा का उम्मीदवार बनाया जाता सदस्यों को पथ नहीं रहा है। परिवारवाद के खिलाफ यह बगावत पार्टी के लिए कतई अच्छे संकेत नहीं हैं।
पंचायत चुनाव में सपा का प्रदर्शन काफी शानदार रहा। जिला पंचायत सदस्य पद के चुनाव में सत्ताधारी पार्टी भाजपा जहां अल्पमत में आ गई वहीं सपा ने सर्वाधिक 11 सीटों पर चुनाव जीता। पिछड़ा वर्ग के कई सदस्य होने के बावजूद सपा ने पूर्व सांसद रामकिशुन के भतीजे को अध्यक्ष पद के लिए अपना उम्मीदवार बनाया जो निर्दल चुनाव जीते थे। परिवारवाद से जुड़ा पार्टी का यह फैसला सपा को भारी पड़ता नजर आ रहा है। सपा के समर्थन से जीते सदस्य धीरे-धीरे कर छिटकने लगे हैं। नियामताबाद सेक्टर पांच से जिला पंचायत सदस्य बबिता यादव ने पार्टी उम्मीदवार के खिलाफ नामांकन फार्म खरीदकर न सिर्फ संगठन को असहज कर दिया है बल्कि बगावत की चिंगारी को हवा भी दे दी है। वहीं धनबली छत्रबली के चहेते को अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाकर भाजपा पहले ही बड़ा दांव खेल चुकी है। तो कह सकते हैं कि सपा के लिए अध्यक्ष पद की कुर्सी पर कब्जा जमाना मुश्किल होता जा रहा है।