
चंदौली जिले के छोटे से गांव महुरा से समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता तक का सफर तय करने वाले युवा नेता मनोज सिंह काका का सफर संघर्षों से भरा रहा है। किसान, नौजवान, बेरोजगारी और कानून व्यवस्था से जुड़े सवालों को न सिर्फ बेबाकी से उठाते रहे हैं बल्कि जरूरत पड़ने पर आंदोलन से भी नहीं चूकते। किसान बिल को लेकर प्रदेश सहित देशभर में आंदोलन की जो आंधी उठी उसे सपा ने धार देने का काम किया। धान का कटोरा कहे जाने वाले चंदौली में भी सपाई शासन से टकराए और आंदोलन की नुमाइंदगी कराने वालों में मनोज काका का नाम अव्वल रहा। मनोज सिंह काका ने पूर्वांचल टाइम्स के साथ विशेष बातचीत में विभिन्न सवालों का साफगोई से जवाब दिया….
सवाल- किसान संशोधन विधेयक को लेकर चल रहे आंदोलन को किस रूप में देखते हैं ?
जवाब- बहुत दुखद है कि आज किसानों को अपने हक के लिए आंदोलन करना पड़ रहा है। देश के पीएम और गृहमंत्री यदि किसान होते तो इस बिल को वापस ले चुके होते। लेकिन दुर्भाग्य है कि ऐसा नहीं है। 1917 में पूज्य गांधी जी ने बिहार राज्य के चंपारण से किसान आंदोलन की नींव रखी थी। जब किसानों को नील की खेती के लिए बाध्य किया जा रहा था। उसी तरह का कानून दोबारा आया है। यह आजादी के बाद का सबसे बड़ा किसान आंदोलन है। जितनी भी दुश्वारियां रही हैं उनको समाप्त करने का यह आंदोलन है।
सवाल- धान खरीद और किसानों की समस्या तब भी थी जब प्रदेश में सपा की सरकार थी। अब हालात कितने अलग हैं?
जवाब- काफी फर्क है। पहले सवाल सिर्फ फसल तक का था। आज किसानों की जमीन पर खतरा मंडराने लगा है। नए कृषि कानून से किसानों के अस्तित्व पर संकट खड़ा हो गया है। किसानों की जमीन पर अडानी एग्रीकल्चर लाजिस्टिक बोर्ड का बोर्ड जब लगेगा तो किसान को डर है कि वह अपनी ही जमीन पर मजदूर बनकर रह जाएगा। सरकार किसानों की जमीन को उद्योगपति को देना चाह रही है। आंदोलन से सबसे अधिक डर अडानी को लग रहा है। इसलिए वह बयान जारी कर रहे हैं।
सवाल- सत्ता पक्ष के नेताओं का कहना है कि सपाइयों को कृषि बिल की जानकारी ही नहीं है। पहले कानून को अच्छे से पढ़ लें ?
जवाब- मैं चुनौती देना चाह रहा हूं कि सत्ता पक्ष या सरकार का कोई भी नेता, मंत्री या जनप्रतिनिधि किसान बिल पर खुली बहस कर सकता है। फसल के व्यापारीकरण या आवश्यक वस्तु अधिनियम को समाप्त करने आदि किसी भी विषय बात कर लें खुद ब खुद पता चल जाएगा कि किसके पास कितनी जानकारी है। ऐसे बयान से सत्ता पक्ष के लोग जनता और किसानों को बरगला नहीं सकते।
सवाल- पंचायत चुनाव आने वाले हैं। सपा की भूमिका क्या होगी?
जवाब- गांव से लेकर शहर तक सरकार के खिलाफ लोगों में नाराजगी है। पंचायत चुनाव के जरिए ग्रामीण जनता सरकार को अपना जवाब देगी। सपा की कोशिश रहेगी कि अधिक से अधिक लोगों की भागीदारी सुनिश्चित हो सके। पंचायत चुनाव में हमारी पार्टी सबसे बेहतर प्रदर्शन करेगी।
सवाल- सपा पर परिवारवाद के आरोप लगते हैं। आरोप लगते हैं कि पार्टी नए लोगों को कम मौके देती है?
जवाब। आरोप बेबुनियाद हैं। पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष ने सबको मौके दिए हैं। नेताजी ने भी बहुत लोगों को आगे बढ़ाया है। सबसे अधिक पारदर्शिता किसी पार्टी में है तो वी समाजवादी पार्टी में ही है। यहां प्रत्येक कार्यकर्ता को बराबर मौका मिलता है।