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पूर्वांचल में ब्लैकआउट जैसे हालात, बिजली बिन त्राहि-त्राहि, जानिए कब तक रहेगी समस्या

वाराणसी। निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मचारियों की हड़ताल का व्यापक असर देखने को मिला। प्रदेश सहित पूरे पूर्वांचल में ब्लैकआउट जैसे हालात बन गए हैं। वाराणसी, चंदौली, मीरजापुर, भदोही, गाजीपुर, बलिया, आजमगढ़, जौनपुर, मऊ आदि जनपदों में लोग बिजली बिन बिलबिला उठे। हालात से निबटने को किए गए प्रशसनिक इंतजामों की हवा निकल गई। कहने को तो उपकेंद्रों और तहसीलों में कंट्रोल रूम बनाए गए थे। लेकिन सुबह कुछ देर मोर्चा संभालने के बाद कर्मचारियों ने भी हाथ खड़े कर दिए। फोन घनघनाते रहे लेकिन उठाने वाला कोई नहीं था। हालात सामान्य होने की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है। शासन और बिजली कर्मियों के बीच वार्ता का कोई निष्कर्ष नहीं निकलने से कर्मचारियों का आंदोलन अनिश्चितकालीन हो गया है।
बिजली कर्मचारियों की हड़ताल ने आमजन की हालत खस्ता कर दी। सोमवार को बिजली व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई। कई उपकेंद्रों में ताला बंद कर बिजलीकर्मी गायब हो गए। स्टेशन इंचार्ज की जिम्मेदारी संभालने वाला तक कोई न था। कहीं रात से बिजली गुल हो गई तो कहीं सुबह और दोपहर के बाद लाइट काट दी गई। हालात संभालने को अधिकारी चक्रमण करते रहे लेकिन व्यवस्था दुरुस्त नहीं कर सके। अधिकारियों का ढीला-ढाला रवैया भी चर्चा का विषय बना रहा। नलकूप नहीं चलने से पानी की आपूर्ति ठप रही।

हालात सामान्य होने के आसार नहीं
बिजली कर्मियों ने अपने आंदोलन में उपकेंद्रों पर पालियों में कार्यरत कर्मियों को शामिल नहीं किया था। लेकिन बाद में उपकेंद्रों के कर्मचारी भी आंदोलन में शामिल हो गएै बिजली आपूर्ति ठप कर दी गई। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम कार्यालय वाराणसी और सभी जनपदों में कर्मचारियों ने धरना और प्रदर्शन के माध्यम से आपनी आवाज बुलंद की। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारी और एक्सईएन आशीष कुमार सिंह का कहना है कि सरकार की हठधर्मिता के कारण ही यह स्थिति उत्पन्न हुई है। शांसन मांगों को नहीं मानती है तो आंदोलन इसी तरह जारी रहेगा। संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे का कहना है कि पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन से निजीकरण प्रक्रिया वापस लेने की मांग की जा रही है। मांग नहीं मानी जाती है तो कर्मचारी काम पर वापस नहीं लौटेंगे।

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