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सिकरौरा नरसंहार :  बाहुबली पूर्व एमएलसी बृजेश सिंह की मुश्किलें बढ़ीं, दोषमुक्ति पर सवाल, अब सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई

चंदौली। जिले के चर्चित सिकरौरा नरसंहार कांड में बाहुबली पूर्व एमएलसी बृजेश सिंह की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ने वाली हैं। हत्याकांड के आरोपित रहे बृजेश की दोषमुक्ति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। शीर्ष अदालत ने दोषमुक्ति के खिलाफ सुनवाई करने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने कहा कि मामले की सुनवाई में तेजी लाई जाए और सत्र न्यायालय व इलाहाबाद हाईकोर्ट से संबंधित रिकॉर्ड शीघ्रता से सुरक्षित किया जाए। 39 साल पहले पहले बलुआ थाना के सिकरौरा गांव में एक ही परिवार के सात लोगों की हत्या कर दी गई थी।

 

क्या था सिकरौरा नरसंहार मामला?

9 अप्रैल 1986 की रात चंदौली जिले के बलुआ थाना क्षेत्र के सिकरौरा गांव में तत्कालीन ग्राम प्रधान रामचंद्र यादव, उनके चार मासूम बच्चों मदन, उमेश, टुनटुन और प्रमोद समेत दो भाइयों रामजन्म व सियाराम की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड ने पूरे पूर्वांचल में सनसनी फैला दी थी।

  

बृजेश सिंह की दोषमुक्ति पर उठे सवाल

इस मामले में मुख्य आरोपी रहे बृजेश सिंह और अन्य 12 आरोपियों को सत्र न्यायालय ने 16 अगस्त 2018 को दोषमुक्त कर दिया था। मृतक प्रधान रामचंद्र यादव की पत्नी हीरावती देवी ने इस फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। नवंबर 2023 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति अजय भनोट की खंडपीठ ने सत्र न्यायालय का फैसला बरकरार रखते हुए बृजेश सिंह समेत नौ आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया था। हालांकि, चार अन्य आरोपियों—पंचम सिंह, वकील सिंह, राकेश सिंह और देवेंद्र सिंह को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।

 

सुप्रीम कोर्ट में अपील और फैसला

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विभव मिश्रा के अनुसार, उम्रकैद पाए चार दोषियों ने शीर्ष अदालत में अपनी सजा निलंबित कर जमानत देने की अपील की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। वहीं, हीरावती देवी ने बृजेश सिंह, रामदास उर्फ दीना, नरेंद्र सिंह उर्फ मामा और विजयी सिंह की दोषमुक्ति के खिलाफ अपील दायर की, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। अब शीर्ष अदालत में इस मामले की फिर से सुनवाई होगी।

 

जानिये बृजेश सिंह की क्राइम हिस्ट्री

पूर्वांचल की राजनीति और अपराध जगत में बृजेश सिंह और माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की दुश्मनी लंबे समय तक सुर्खियों में रही। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, वाराणसी के चौबेपुर थाना क्षेत्र के धौरहरा गांव निवासी बृजेश सिंह की हिस्ट्रीशीट 1989 में खोली गई थी। 1998 में अंतरराज्यीय गैंग नंबर 195 पंजीकृत हुआ था। 1987 से 2008 तक फरार रहे बृजेश सिंह के खिलाफ उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली और ओडिशा में 40 से अधिक आपराधिक मुकदमे दर्ज थे। हालांकि, ज्यादातर मामलों में वह दोषमुक्त हो चुके हैं, लेकिन सिकरौरा नरसंहार मामले में अब फिर से कानूनी लड़ाई तेज हो गई है।

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