लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने ग्राम पंचायत आरक्षण को लेकर राज्य सरकार को झटका देते हुए वर्ष 2015 के आधार पर आरक्षण लागू कर चुनाव कराने का निर्देश दिया है। सरकार ने भी कोर्ट के निर्णय को स्वीकार करते हुए नए सिरे से आरक्षण सूची जारी करने पर सहमति जताई है। कोर्ट ने पंचायती राज विभाग को 27 मार्च तक संशोधित सूची जारी करने के साथ ही 25 मई तक चुनाव संपन्न कराने के निर्देश दिए है। न्यायालय के इस आदेश से पंचायतों के पूरे समीकरण बदल जाएंगे। चुनाव की तैयारी में जुटे संभावित उम्मीदवारों में हलचल मच गई है।
अजय कुमार की ओर से दाखिल जनहित याचिका में 1995 को आधार मानते हुए आरक्षण तय करने की प्रक्रिया को चुनौती दी गई थी। जिसके बाद न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी और न्यायमूर्ति मनीष माथुर की अदालत ने यह आदेश पारित किया। दरअसल 16 सितंबर 2015 को एक शासनादेश जारी करते हुए वर्ष 1995 की बजाए वर्ष 2015 को मूल वर्ष मानते हुए आरक्षण लागू करने की प्रक्रिया अपनाई गई थी। तर्क दिया गया था कि 2001 और 2011 की जनगणना के अनुसार काफी भौगोलिक परिवर्तन हो चुका है। लिहाजा 1995 को मूल वर्रूा मानते हुए आरक्षण लागू करना उचित नहीं है। 2015 के पंचायत चुनाव भी इसी शासनादेश के तहत संपन्न हुए। लेकिन योगी सरकार ने 2015 के शासनादेश को दरकिनार करते हुए नया शासनादेश लागू कर आरक्षण जारी कर दिया। बहरहाल कोर्ट ने सरकार को झटका देते हुए 2015 को ही मूल वर्ष मानते हुए आरक्षण जारी करने को कहा है। सरकार ने भी अपनी गलती स्वीकार करते हुए कोर्ट के निर्देश के अनुसार आरक्षण जारी करने की बात कही है। अब अगर 2015 को ही मूल आधार वर्ष माना जाता है तो जो सीट पिछले चुनाव में जिस वर्ग के लिए आरक्षित थी उस वर्ग के लिए आरक्षित नहीं होगी।