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बिजली कर्मचारियों की हड़ताल को बेअसर करने की तैयारी, इन्हें मिली जिम्मेदारी

वाराणसी। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निजीकरण के प्रस्ताव के विरोध में आंदोलनरत बिजली कर्मचारियों ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि पांच अक्तूबर से हड़ताल शुरू कर देंगे। सोमवार को पूरे प्रदेश के 15 लाख कर्मचारी हड़ताल पर रहे। सरकार ने भी कमर कस ली है कि चाहे कुछ भी हो जाए कदम पीछे नहीं खिंचेंगे। बिजली आपूर्ति पर हड़ताल का असर न पड़े इसके लिए जिला प्रशासन के तैयारी भी कर ली थी। लेकिन होमवर्क सही नहीं होने का नतीजा यह निकला कि समूचा पूर्वांचल बिजली कटौती की चपेट में आ गया। कुछ सब स्टेशनों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश उपकेंद्र बंद रहे। बिजली और पानी बिन लोग बिलबिला उठे। उद्योग धंधे भी प्रभावित हुए हैं। बिजली कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की शासन से वार्ता विफल रही। ऐसे में कर्मचारियों का आंदोलन लंबा खिंच सकता है। ऐसे में आगे भी बिजली संकट से इंकार नहीं किया जा सकता।

एसडीएम और ठेकेदार संभालेंगे आपूर्ति की जिम्मेदारी

हालांकि पहले दिन से सबक लेते हुए जिला प्रशासन ने बिजली आपूर्ति व्यवस्था की पूरी जिम्मेदारी उप जिलाधिकारियों को सौंप दी है। बिजली ठेकेदारों से सामंजस्य स्थापित कर निर्बाध आपूर्ति बहाल करने का प्रयास करेंगे। जबकि कानून व्यवस्था बनाए रखने के साथ ही उपकेंद्रों की सुरक्षा सुनिश्चित कराने को मजिस्ट्रेटों की तैनाती की गई है। निर्देश दिए गए है कि पुलिस बल के साथ चक्रमण कर सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त रखें।

अनपरा और ओबरा की छह इकाइयों से उत्पादन बंद
सोमवार की सुबह विद्युत कर्मचारियों के कार्य बहिष्कार के साथ ही ओबरा और अनपरा की छह इकाइयों से उत्पादन बंद हो गया। इससे 1830 मेगावाट का उत्पादन प्रभावित हुआ है। परियोजना प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों की मानें तो प्रयास किया जा रहा है कि उत्पादन शुरू हो जाए। अनपरा अ की 210 मेगावाट की क्षमता वाली तीन इकाई यानी 630 मेगावाट, अनपरा ब की 500 मेगावाट वाली दो इकाई यानी 1000 मेगावाट उत्पादन बंद हुआ। वहीं ओबरा में 10वीं इकाई से 200 मेगावाट का उत्पादन बंद हुआ है। कर्मचारियों के हड़ताल के कारण इन्हें शुरू करने में दिक्कत आ रही है।

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