चंदौली। जिले में हरतालिका तीज आस्था और श्रद्धा के साथ मनाई गई। महिलाओं ने पवित्र मन एवं विचारों के साथ निर्जला व्रत रखा। धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए गए। इसमें कथा श्रवण से लेकर पूजापाठ का कार्यक्रम शामिल रहा। शहर से ग्रामीण अंचलों में महिलाओं ने अपने घरों में या फिर सखी-सहेलियों के साथ त्योहार को मनाया और पति-पत्नी के आपसी प्रेम एवं विश्वास के पर्व को चरितार्थ किया।
हरतालिका तीज व्रत की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार मां पार्वती ने भगवान शंकर को पति रूप में पाने के लिए गंगा के तट पर घोर तप करना शुरू कर दिया था। इस दौरान उन्होंने कई दिनों तक अन्न और जल ग्रहण नहीं किया। माता पार्वती को तप करते हुए कई वर्ष बीत गए। उनकी स्थिति देखकर उनके पिता हिमालय अत्यंत दुखी थे। एक दिन महर्षि नारद पार्वती जी के लिए भगवान विष्णु की ओर से विवाह का प्रस्ताव लेकर आए। नारदजी की बात सुनकर माता पार्वती के पिता ने कहा कि अगर भगवान विष्णु यह चाहते हैं तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है लेकिन माता पार्वती को जब यह बात पता चली तो वह फूट-फूट कर रोने लगीं। उनकी एक सखी के पूछने पर बताया कि वो भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाना चाहती हैं। इसीलिए वह कठोर तपस्या कर रही थीं। सखी की सलाह पर पार्वती जी ने घने वन में एक गुफा में भगवान शिव की अराधना की। भाद्रपद तृतीया शुक्ल के दिन हस्त नक्षत्र में पार्वती जी ने मिट्टी से शिवलिंग बनकर विधिवत पूजा की और रातभर जागरण किया। पार्वती जी के तप से खुश होकर भगवान शिव ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया था।