
संवाददाता: कार्तिकेय पाण्डेय
चंदौली। दो लोकसभा क्षेत्रों को जोड़ने वाली सुरक्षित विधानसभा चकिया का भूगोल जितना समृद्धशाली है उतना ही रोचक है यहां का चुनावी इतिहास। इस दफा यहां विधायकी की लड़ाई किसी भी दल के प्रत्याशी के लिए आसन नहीं होगी। हर दफा यहां का राजनीतिक समीकरण बदलता रहता है।
चकिया विधान सभा के इतिहास पर नजर
1962 के पहले यह विधानसभा चंदौली से जुड़ा हुआ था। बाद जब यह अलग हुआ तो चकिया विधानसभा सुरक्षित सीट बनी। 1962 में कांग्रेस पार्टी से राम लखन राम पहली बार विधायक बने। तो वहीं सोशलिस्ट पार्टी से 1967 में बेचन राम दूसरे विधायक बने। 1969 में राम लखन राम ने एक बार फिर कांग्रेस पार्टी का झंडा बुदंल किया और दूसरी दफा विधायक बने। 1974 में बेचन राम ही दोबारा विधायक की कुर्सी पर काबिज हुए। 1977 में जनता पार्टी से श्याम देव ने विजय हासिल की। 1980 में कांग्रेस पार्टी के खरपत राम विधायक बने। 1985 में कांग्रेस पार्टी से ही दोबारा खरपत राम चुनाव जीतकर विधायक बने। 1989 में जनता दल से सत्य प्रकाश सोनकर ने विजय हासिल की तो वहीं 1991 में भारतीय जनता पार्टी से राजेश बहेलिया चकिया के विधायक बने। 1993 में एक बार फिर राजेश बहेलिया ने जीत दर्ज की। 1996 में समाजवादी पार्टी के सत्य प्रकाश सोनकर विधायक पद की बागडोर संभाली। इसके बाद 2002 में भारतीय जनता पार्टी से शिव तपस्या पासवान विधायक बने। 2007 में बहुजन समाज पार्टी से जितेंद्र कुमार एडवोकेट विधायक रहे, 2012 में समाजवादी पार्टी से पूर्व विधायक सत्य प्रकाश सोनकर की पत्नी पूनम सोनकर ने विजय प्राप्त की। जबकि 2017 में भारतीय जनता पार्टी से शारदा प्रसाद चुनाव जीते। इस विधानसभा से 1962 और 1969 में दो बार विधायक रहे राम लखन राम सिंचाई और विद्युत मंत्री बने। इसके बाद से अब तक इस विधान सभा से चुनाव जीतने वाले किसी भी विधायक को मंत्रीमंडल जगह नहीं मिली।
अबकी आसान नहीं होगी लड़ाई
देखना यह है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में इतिहास अपने आप को दोहराता है या फिर बदल जाता है। वैसे सभी दलों में टिकट के कई दावेदार है। वही सत्ताधारी पार्टी भाजपा में प्रमुख रूप से वर्तमान विधायक शारदा प्रसाद, पूर्व सांसद छोटेलाल खरवार, नगर पालिका चेयरमैन संतोष खरवार, वाराणसी की पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष अपराजिता सोनकर डा. शंभुनाथ सहित दर्ज दर्जन दावेदार हैं। वहीं समाजवादी पार्टी में बसपा छोड़कर आए पूर्व विधायक जितेंद्र कुमार एडवोकेट, डॉ रामाधार जोसेफ, प्रवीण सोनकर, दशरथ सोनकर आदि नेता दावेदारी कर रहे हैं। बहुजन समाज पार्टी ने पूर्व राज्यसभा सांसद गांधी आजाद के बेटे विकास आजाद को मैदान में उतार दिया है। कांग्रेस ने अभी तक विधानसभा में अपने प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है। अब देखना यह होगा कि 2022 के विधानसभा चुनाव का किला कौन फतह करता है।