चंदौली। पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) के फार्मूले के साथ लोकसभा चुनाव में उतरी सपा की नजर पूर्वांचल के सवर्ण मतदाताओं पर है। खासतौर से भाजपा के साथ माने जाने वाले ब्राह्मण व ठाकुर वोटबैंक में सेंध लगाने की रणनीति बनाई है। इसके लिए इस बार चंदौली समेत पूर्वांचल के जिलों में बहुत सोच-समझकर सवर्ण जाति के उम्मीदवारों पर दांव लगाया है। ताकि भाजपा के किले को भेदा जा सके।
अखिलेश ने राजनीतिक दांव-पेंच में माहिर पूर्व मंत्री व विधायक रहे वीरेंद्र सिंह को चंदौली से टिकट देकर सपा से बिदक चुके राजपूत मतदाताओं को अपने पाले में लाने की कोशिश की है। वीरेंद्र सिंह की अपनी विरादरी में अच्छी पकड़ है। इसके अलावा अन्य जातियों में भी पैठ बनाने में माहिर हैं। जिले के ढाई लाख यादव, एक लाख मुस्लिम मतदाताओं के साथ डेढ़ लाख से अधिक राजपूत मतदाताओं की एकजुटता हुई तो भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। इसी तरह आजमगढ़ से धर्मेंद्र यादव, गाजीपुर से अफजाल अंसारी को टिकट देकर पूर्वांचल के मुस्लिमों और यादवों को एकजुट करने की कोशिश की है। वहीं वाराणसी से सुरेंद्र पटेल का नाम आगे कर वाराणसी समेत मिर्जापुर में भी कुर्मी मतदाताओं को भी साधने का दांव चला है। इसी तरह पार्टी ने भदोही की सीट इंडिया गठनबंधन के घटक दल टीएमसी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे ललितेशपति त्रिपाठी के लिए छोड़ दी है। ललितेशपति पूर्व मुख्यमंत्री पंडित कमलापति त्रिपाठी के प्रपौत्र हैं और मिर्जापुर के मडिहान से विधायक रह चुके हैं। विपक्षी गठबंधन को उम्मीद है कि ललितेश के आने से भदोही में ब्राह्मण और मुस्लिम मतदाताओं का गठजोड़ चुनाव में फायदा पहुंचा सकता है।