चंदौली। लोकसभा क्षेत्र से पूर्व सांसद रामकिशुन यादव व पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू की दावेदारी को दरकिनार करते हुए सपा ने पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता वीरेंद्र सिंह को प्रत्याशी बनाया है। विधायक और प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके वीरेंद्र सिंह का लंबा राजनीतिक सफर रहा है। इस दौरान कांग्रेस, सपा और बसपा समेत कई राजनीतिक दलों का दामन थाम चुके हैं। पार्टी की ओर से प्रत्याशी की घोषणा होने के बाद जिले की राजनीतिक फिजा गरमा गई है।
वीरेंद्र सिंह ने चिरईगांव विधानसभा सीट से 1996 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी। इसके साथ ही उनके राजनैतिक करियर की शुरूआत मानी जाती है। पार्टी में विभाजन होने पर लोकतांत्रिक कांग्रेस पार्टी के नाम से बने दल में शामिल हो गए थे। उन्होंने कई साल तक अपनी स्वतंत्र राजनीति की, लेकिन 2003 में चिरईगांव विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में उन्होंने बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर जीत हासिल की और दोबारा विधानसभा में पहुंचे। बहुजन समाज पार्टी के बाद उन्होंने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया। दिग्विजय सिंह के प्रयासों से 2012 में एक बार फिर उन्होंने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की। दिग्विजय सिंह ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मुलाकात कराकर उनकी कांग्रेस पार्टी में वापसी का रास्ता साफ किया था। 2012 चुनाव के बाद उन्होंने एक बार फिर कांग्रेस पार्टी छोड़ दिया और 2017 में फिर से बसपा में चले गए। कुछ दिनों तक पार्टी में रहने के बाद एक बार फिर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। काफी दिनों तक पार्टी में सक्रिय रहे। नगर निकाय चुनाव के पहले पार्टी के आलाकमान ने वीरेंद्र सिंह को समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय प्रवक्ता बना दिया था। इसके साथ ही साथ उन्होंने वाराणसी नगर निगम के चुनाव में समाजवादी पार्टी के लिए काफी मशक्कत की थी। ऐसा माना जा रहा कि सपा ने सांसद व केंद्रीय मंत्री डा. महेंद्रनाथ पांडेय के खिलाफ क्षत्रीय प्रत्याशी को सामने लाकर राजपूत वोटों के साथ ही पीडीए के जरिए मुसलमानों और दलितों को साधने की कोशिश की है।