
वाराणसी। एमएलसी बृजेश सिंह के अत्यंत निकट रहे बसपा नेता रामबिहारी चाौबे हत्याकांड में भाजपा विधायक सुशील सिंह की संलिप्तता की बात सामने आई तो नजदीकी लोग सन्न रह गए। हालांकि वाराणसी पुलिस ने अपनी जांच में विधायक को साफ-साफ बरी कर दिया। लेकिन घटना में आरोपित बनाकर पुलिस ने जिन शूटरों को पकड़ा उनके बचाव में विधायक खुलकर सामने आ गए। बहरहाल देश के सर्वोच्च न्यायालय ने इस बहुचर्चित हत्याकांड में हस्तक्षेप करते हुए तकरीबन बंद हो चुकी फाइल को फिर से खोलने के आदेश दे दिए हैं। घटना में विधायक की भूमिका की जांच को विशेष जांच दल भी गठित कर दिया गया है। तेज-तर्रार आईपीएस सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज को एसआईटी की कमान सौंपी गई है। सूत्रों की माने तो एक सप्ताह के भीतर आईपीएस अपनी टीम बना लेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले की खुद मानीटरिंग का निर्णय लिया है। ठीक दो माह बाद विधायक की संलिप्तता की अपनी जांच रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करेगा। यदि जांच टीम को और समय चाहिए तो लिखित तौर पर न्यायालय के अनुमति लेनी होगी।
क्या कहते हैं दिवंगत बसपा नेता के पुत्र
दिवंगत बसपा नेता रामबिहारी चाौबे के पुत्र अमरनाथ चाौबे कहते हैं कि पकड़े गए शूटरों ने अपने बयान में साफ कहा है कि विधायक के इशारे पर ही घटना को अंजाम दिया गया था। बावजूद अपने प्रभाव और कुछ भ्रष्ट पुलिसकर्मियों की बदौलत बच गए। कुछ प्रभावशाली नेताओं ने भी इसमें उनकी मदद की। लेकिन अब देश का सर्वोच्च न्यायालय खुद इंसाफ करेगा। मुख्तार अंसारी से संबंधों के आरोपों पर कहा कि केस को कमजार करने और मामले को नया मोड़ देने के लिए विधायक यह मनगढ़ंग और निराधार आरोप लगा रहे हैं। पुलिस ने कायदे से जांच ही नहीं की। कई सवाल हैं जो अभी तक निरुत्तर ही हैं। न्यायालय ने वाराणसी पुलिस को भी खूब लताड़ लगाई है।