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आरक्षण के नजरिए से जानिए चंदौली के ब्लाक प्रमुख पदों की स्थिति, इतिहास

 

चंदौली। कह सकते हैं कि पंचायत चुनाव का बिगुल बज चुका है। जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुख पदों के आरक्षण की अधिसूचना शासन स्तर से जारी कर दी गई है। चंदौली जिला पंचायत अध्यक्ष का पद अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हो चुका है। जबकि ब्लाक प्रमुख पदों में बरहनी, चहनियां, धानापुर ब्लाक अनारक्षित, चकिया, सदर और नियामताबाद अन्य पिछड़ा वर्ग, नौगढ़ और शहाबगंज अनुसूचित जाति और सकलडीहा ब्लाक प्रमुख का पद अनारक्षित महिला के लिए आरक्षित कर दिया गया है। आरक्षण सूची जारी होने के साथ ही गंवई राजनीति गरमा गई है।

पिछले ब्लाक प्रमुख चुनाव का हाल

वर्ष 2016 में हुए ब्लाक प्रमुख पद के चुनावों में बरहनी ब्लाक से रामानंद यादव, सकलडीहा से संजीव सिंह, चकिया से शिवेंद्र सिंह, धानापुर में आशा देवी, नियामताबाद में महेंद्र पासवान, चहनिया में शीला सोनकर, शहाबगंज में सरोज सिंह, नौगढ़ में जवाहिर खरवार, सदर ब्लाक से भगवानी देवी के सिर जीत का सेहरा बंधा। तब सूबे में सपा की सरकार थी। लेकिन एक वर्ष बाद ही प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ ही प्रमुखों की कुर्सी डगमगाने लगी। बरहनी ब्लाक में सपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए महेंद्र सिंह की मदद से गुड्डू गुप्ता ने पूर्व जिलाध्यक्ष बलिराम यादव के छोटे भाई रामानंद यादव को हटाकर कुर्सी अपने कब्जे में कर ली। जबकि सबसे बड़ा उलटफेर नौगढ़ ब्लाक प्रमुख की कुर्सी पर देखने को मिला। यहां तत्कालीन भाजपा सांसद छोटे लाल खरवार के भाई ब्लाक प्रमुख जवाहिर खरवार को अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा। सांसद के भाई की कुर्सी भी गई और पार्टी में सांसद का कद भी छोटा हुआ। तब सांसद छोटेलाल ने भाजपा नेताओं यहां तक की सीएम को भी आड़े हाथ लेते हुए आरोप लगाए थे। बहरहाल नौगढ़ की नई ब्लाक प्रमुख नीतू सिंह बनीं। शहाबगंज में तो दो दफा अविश्वास प्रस्ताव लाया गया। कुश उपाध्याय ने ब्लाक प्रमुख सरोज सिंह के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर अपनी पत्नी शशि उपाध्याय को प्रमुख बनवा दिया। लेकिन शशि सिंह क्षेत्र पंचायत सदस्यों का भरोसा नहीं जीत सकीं और डेढ़ वर्ष बाद ही सरोज सिंह ने दोबारा उनसे प्रमुख की कुर्सी छीन ली। जबकि सदर ब्लाक में पूर्व प्रमुख वीरेंद्र नाथ सिंह की पत्नी भगवानी देवी के निधन के बाद हुए उपचुनाव में उसकी बहू कालिंदी देवी ब्लाक प्रमुख बनीं। चहनियां ब्लाक प्रमुख शीला सोनकर और नियामताबाद प्रमुख महेंद्र पासवान के खिलाफ भी अश्विास प्रस्ताव लाया गया। लेकिन सपाइयों की घेराबंदी को विरोधी भेद नहीं सके।

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