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चंदौलीराज्य/जिलासंस्कृति एवं ज्योतिष

चंदौलीः सैकड़ों वर्ष पुरानी, मां कोट भगवती की कहानी, सुनकर होगी हैरानी, पूरी होती है मन से मांगी गई मुराद

REPORTER: मुरली श्याम

चंदौली। यूं तो धान का कटोरा धर्मिक स्थलों से लबालब है। लेकिन चकिया नगर से पांच किमी दूर सिकंदरपुर बाजार से पहले चंद्रप्रभा नदी के तट पर स्थित सिकंदरपुर शाह पर स्थित मां कोट भगवती देवी की कहानी सबसे अलग है। शक्ति उपासकों की आस्था का प्रमुख केंद्र यह मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना है और उतनी की रोचक है इसके स्थापना से जुड़ी कथा। तो आइए चलते हैं अति प्राचीन मां कोट भवानी मंदिर में।
चकिया नगर में काली मंदिर शक्तिपीठ के रूप में विख्यात है तो सिकंदरपुर में स्थित कोट भवानी भी आदि शक्ति की आराधना का प्रमुख केंद्र है। मां भवानी की ऐतिहासिक गाथा सैकड़ों वर्ष पुरानी है। मानना है कि सच्चे मन से मांगी गई मुराद मां अवश्य पूरी करती है। दर्शन मात्र से मनुष्य के सारे कष्ट स्वतः नष्ट हो जाते हैं।

नीम के पेड़ के नीचे बना था चबूतरा
मंदिर से जुड़ी कथा के अनुसार सिकंदर शाह के शासनकाल तक नीम के पेड़ नीचे के चबूतरे के रूप में कोट भगवती की पूजा की जाती थी। कई वर्षों तक सिकंदर शाह के वंशज शासन करते रहे। बाद में सिकंदर शाह की कोठी ध्वस्त हो गई। 1826 में महाराज बलवंत सिंह वहां के शासक हुए। 1887 में सिकंदरपुर गाजीपुर के नाम से जाना जाता था। महाराज वीर बहादुर काशी नरेश के शासन में कोर्ट किला पर मां भगवती का छोटा सा मंदिर बनाकर पिंडी के रूप में स्थापना की गई। इस स्थान और किले पर महाराज के आराम की व्यवस्था थी लेकिन उनका यदा-कदा ही आना जाना हुआ करता था। 1966 यहां मां भगवती देवी की मूर्ति स्थापित कर मंदिर का निर्माण कराया गया।

कई कथाएं प्रचलित
मां कोट भगवती की कई कथाएं प्रचलित हैं। गांव के अनिल रस्तोगी बताते हैं कि यह घटना जिसका आज भी जिक्र सिकंदरपुर वासी करते हैं सन् 1965 की है। मंदिर परिसर की साफ-सफाई करने वाले गरीब कुंवर माली को मां ने स्वप्न दिखाया कि मंदिर के नीचे खजाना है और उसका गुप्त रास्ता भी बताया। यह भी कहा कि अपनी आवश्यकता के अनुसार केवल एक मुट्ठी सोने-चांदी के सिक्के ही उठाना। लेकिन धन अधिक देखकर माली के मन में लालच आ गया। वह अधिक धन उठाने के बारे में सोचने लगा। उसने अधिक धान उठाने का प्रयास किया, जिसपर मां क्रोधित हो गईं। इसी दौरान माली एक पैर से अपाहिज हो गया। दूसरी कथा के अनुसार 1960 में कुछ चोर खजाने में सेंध लगा रहे थे। गांव के ही देवी भक्त भुल्लन राम को स्वप्न में मंदिर में चोरों के घुसे होने की देवी ने जानकारी दी। भुल्लन ने मंदिर पुजारी अंतू पाठक व नागरिकों को एकत्रित कर चोरों के मंसूबों पर पानी फेर दिया।

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