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क्या झूठी है मुगलसराय थाने के मुंशी की आत्महत्या की पुलिसिया कहानी ?

चंदौली। मुगलसराय थाने में बतौर मुंशी तैनात कांस्टेबल आशुतोष मिश्रा ने बीते 19 फरवरी को थाने के ही बैरक में खुद को गोली मार ली। पुलिस ने इसी थ्योरी के आधार पर जांच बंद कर दी। लेकिन बांदा जिला निवासी मृतक के पिता जगदीश मिश्रा ने सीधा मुख्यमंत्री को पत्र लिखा और आरोप लगाया कि तत्कालीन कोतवाली प्रभारी और तीन पुलिसकर्मियों ने पुत्र आशुतोष की हत्या की है और आत्महत्या बताकर मामले को रफा-दफा कर दिया। मुकदमा तक नहीं दर्ज किया गया। बहरहाल वरिष्ठ आईपीएस और वर्तमान में आईजी नागरिक सुरक्षा के पद पर तैनात अमिताभ ठाकुर ने भी इस प्रकरण को उठाते हुए घटना के संदिग्ध होने का इशारा किया है। उन्होंने मृतक आशुतोष की घटना के समय की चार फोटो अपने फेसबुक पेज पर डाली है और लिखा है कि सात माह संघर्ष के बाद आखिरकार एफआईआर दर्ज हुई। फोटो में राइफल की बदली स्थिति संदिग्ध। तस्वीरों में भी स्पष्ट है कि मृतक के पास पड़ी राइफल की पोजिशन को बदला गया है। इसके पीछे की वजह जांच का विषय है।

परिवार आत्महत्या मानने को तैयार नहीं


मृत कांस्टेबल आशुतोष का परिवार यह मामने को तैयार नहीं कि उसने आत्महत्या की है। पिता का आरोप है कि पुत्र को मुगलसराय कोतवाली के कुछ पुलिसकर्मी परेशान करते थे। यहां तक कि उसकी मोटरसाइकिल उसी थाने के दीवान से सीज कर दी। इस बात को लेकर दीवान और दो अन्य पुलिसकर्मियों का आशुतोष से झगड़ा भी हुआ। तत्कालीन कोतवाल ने भी पुत्र को थप्पड़ मारा था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी छेड़छाड़ की गई और कुछ शब्दों को बाद में काट दिया गया। शव के पास मिले पत्र और शरीर से निकली बुलेट को भी गायब कर दिया गया। बहरहाल पिता की अर्जी पर सात माह बाद घटना के बाबत एफआईआर दर्ज की गई है।

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