
चंदौली। अलीनगर क्षेत्र के परशुरामपुर में पकड़े गए अंग्रेजी शराब के अवैध गोदाम मामले ने शराब माफियाओं और भ्रष्ट सिस्टम के गठजोड़ को उजागर कर दिया है। हालांकि यह तो महज बानगी भर है। जिले में ऐसे और भी अवैध भंडारण केंद्र फलफूल रहे हैं। हालांकि एसपी आदित्य लांग्हे ने इस मामले में सख्ती बरतने का मन बनाया है। कंपोजिट शराब दुकान संचालन, मकान मालिक सहित कई लोग कानून के लपेटे में आएंगे और इनके जरिए कई और चेहरे भी बेनकाब होंगे।
चंदौली के जरिए बिहार में हो रही शराब की अवैध तस्करी रोकने को पुलिस ने बार्डर पर सख्ती बढ़ाई तो तस्करों ने ट्रेनों को अपने आवागमन का सुलभ जरिया बना लिया। आरपीएफ और जीआरपी की मिलीभगत से रेलगाड़ियों के जरिए शराब की खेप बिहार पहुंचाई जा रही है और इसमें सहायक बन रही हैं मुगलसराय और जिले के अन्य रेलवे स्टेशनों के आस-पास खुली शराब की दुकानें। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो इसकी पुष्टि भी कर चुके हैं। बहरहाल परशुरामपुर में शराब का अवैध गोदाम पकड़े जाने के बाद पुलिस और आबकारी विभाग की किरकिरी हो रही है। बहरहाल एसपी आदित्य लांग्हे ने पूर्वांचल टाइम्स को बताया कि पुलिस का अभियान आगे भी जारी रहेगा। इसके लिए टीम को अलर्ट कर दिया गया है। परशुरामपुर मामले में पूछताछ की जा रही है। जिस मकान में अवैध गोदाम खुला था उसके मालिक और अनुज्ञापी के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। तस्करी में लिप्त किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा।
जानिए कैसे होती है शराब की तस्करी
शराब की अवैध तस्करी चंदौली में अब बड़ा खेल बन चुकी है। शराब माफिया महिलाओं और युवाओं को तस्करी के काम में लगाते हैं। लोगों की नजर न पड़े इसलिए अवैध गोदाम बनाए जाते हैं जहां से तस्करों को शराब दी जाती है। बिचौलिए और दुकान मालिक इसके लिए मीटिंग कर अपना मुनाफा तय कर लेते हैं। बिचौलियों का काम गोदाम से शराब उठवाना और तस्करों को रेलवे यार्ड तक छोड़ना रहता है। इस काम में आरपीएफ और जीआरपी ही नहीं बल्कि पुलिस, आबकारी, एलआईयू और रेल खूफिया तंत्र के लोग भी शामिल रहते हैं।