वाराणसी। ज्ञानवापी केस में मुस्लिम पक्ष को अदालत से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की पांच याचिकाएं खारिज कर दी हैं। उच्च न्यायालय ने वाराणसी कोर्ट को आदेशित किया कि 1991 में दायर सिविल वादों में एक की सुनवाई 6 माह में पूरी करें।
मुस्लिम पक्ष की ओर से पांच याचिकाएं दाखिल की गई थीं। इसमें तीन ज्ञानवापी मसाजिद कमेटी और जो सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने दाखिल की थी। इनमें से तीन याचिकाओं में 1991 में वाराणसी कोर्ट में दायर एक केस की मेरिट को चुनौती दी गई थी। इसमें ज्ञानवापी परिसर में पूजा-पाठ की अनुमति मांगी गई थी। इसको इंतजामिया कमेटी और वक्फ बोर्ड चुनौती दी थी। मामला अदालत में सुनने लायक है या नहीं। इसको लेकर मुस्लिम पक्ष ने याचिका दाखिल की थी। हाईकोर्ट के जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच ने सभी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। अदालत ने आदेश दिया कि 1991 में जो वाराणसी कोर्ट में याचिका (केस नंबर -610) है, वह प्लेसेज आफ वर्शिप एक्ट से प्रभावित नहीं है। एक्ट के तहत 15 अगस्त 1947 में जिस धार्मिक स्थल की जो स्थिति है, उसमें बदलाव न किया जाए। 15 अगस्त 1947 को धार्मिक स्थल की स्थिति मस्जिद की थी या मंदिर की थी। अदालत ने कहा कि किसी भी धार्मिक स्थल का दो धार्मिक स्वरूप नहीं हो सकता है। या तो वह मंदिर होगा या मस्जिद होगा। इसे निर्धारित करने के लिए साक्ष्य की जरूरत होगी। हाईकोर्ट ने वाराणसी कोर्ट को यह आदेशित किया कि इसका साक्ष्य लें और 6 महीने के अंदर इसे केस का निस्तारण करें, क्योंकि यह केस दो लोगों नहीं, बल्कि दो समुदायों के बीच है।