चंदौली। गंगा के बढ़ते जलस्तर की वजह से जिले में भी बाढ़ की स्थिति पैदा होती जा रही है। पानी ने गांवों का रुख कर दिया है। कई गांव बाढ़ के पानी से घिरने की स्थिति में हैं। ऐसे में प्रशासन ने एहतियाती कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। गंगा किनारे वाले इलाकों में स्थित पांच थानों व 42 बाढ़ चौकियों को अलर्ट कर दिया गया है। यहां 24 घंटे अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है। जिलाधिकारी संजीव सिंह, एसपी अंकुर अग्रवाल ने मुगलसराय विधायक रमेश जायसवाल के साथ शनिवार को तटवर्ती इलाके के गांवों और बाढ़ चौकियों का दौरा किया। इस दौरान आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए।
डीएम ने कहा कि सभी अधिकारी अलर्ट मूड में रहें। हमे किसी भी प्रतिकूल स्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा। एसडीएम व तहसीलदार अपने-अपने क्षेत्रों का जायजा लेते रहें। गंगा के जलस्तर की नियमित रिपोर्ट मंगाए। बाढ़ व राहत शिविरों में सभी मुकम्मल इंतजाम होने चाहिए। एसपी ने कहा कि गंगा किनारे वाले इलाके में स्थित पांच थानों को अलर्ट पर रखा गया है। इन थानों में बाढ़ के दौरान लोगों के बचाव के लिए संसाधन व अतिरिक्त फोर्स दी गई है। विभाग किसी भी परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार है।
42 बाढ़ चौकियां स्थापित
बाढ़ की स्थिति से निबटने के लिए जिले में 42 बाढ़ चौकियां स्थापित की गई हैं। इसमें गंगा के साथ ही कर्मनाशा व गड़ई नदी की बाढ़ चौकियां भी शामिल हैं। गंगा का जलस्तर बढ़ने के साथ ही जिले की इन दोनों नदियों में उफान की आशंका बनी रहती है। इसलिए प्रशासन पूरी निगरानी कर रहा है। बाढ़ चौकियों पर स्थानीय अधिकारियों-कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है। डीएम के अनुसार बाढ़ चौकियों पर रहने, खाने, दवा, पशुओं के लिए चारे आदि की व्यवस्था कराई जा रही, ताकि प्रभावित लोगों को किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़़े।
बाढ़ ले जाती है उपजाऊ जमीन व खड़ी फसल, बेजुबानों के लिए चारे का संकट
गंगा की बाढ़ अपने साथ उपजाऊ जमीन व खेत में खड़ी फसल भी ले जाती है। बाढ़ के पानी में न सिर्फ काश्तकारों के अरमान धुल जाते हैं, बल्कि पशुओं के लिए चारे का संकट भी खड़ा हो जाता है। मुगलसराय व सकलडीहा तहसील के तटवर्ती इलाके के गांवों के किसानों के सैकड़ों बीघा खेत गत वर्षों में आई बाढ़ के दौरान गंगा में समा चुके हैं। ऐसे में गंगा कटान को रोकने के लिए ठोस रणनीति बनाने की मांग काफी दिनों से चल रही है, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई पहल नहीं हुई। इस बार भी किसानों को वही समस्या झेलनी पड़ सकती है।