
- चंदौली में भी माफिया मुख्तार अंसारी के जुर्म के निशान मौजूद
- खौफनाक वारदातों से दहल उठा था समूचा पूर्वांचल
- सिपाही की हत्या के बाद कई दिनों तक चंदौली में छिपा रहा मुख्तार अंसारी
- फिरौती के लिए कर दी कोयला व्यापारी व विश्व हिंदू परिषद कोषाध्यक्ष की हत्या
चंदौली। पूर्वांचल या यूं कहें कि यूपी के सबसे बड़े माफिया डान मुख्तार अंसारी की मौत हो चुकी है। प्रदेश का शायद ही कोई जिला बचा हो जहां माफिया के अपराध से सने पैर न पड़े हों। चंदौली में भी मुख्तार अंसारी के जुर्म के निशान मौजूद हैं। पुलिसकर्मी की हत्या, बड़े कोयला व्यापारी का अपहरण और जनपद निवासी डिप्टी एसपी से सीधी अदावत जैसी कई कहानियां हैं, जिनसे समूचा पूर्वांचल दहल उठा था।
पुलिसकर्मी की गोली मार कर दी थी हत्या
अक्तूबर का महीना और साल था 1991। मुख्तार अंसारी अपने गुर्गों के साथ जिप्सी से जा रहा था। मुगलसराय में जीटीआर ब्रिज सपा कार्यालय के पास पुलिस ने मुख्तार की गाड़ी को रोक लिया और उससे थाने चलने को कहा। मुख्तार ने पुलिस जीप में बैठते ही पुलिसकर्मियों पर ताबड़तोड़ फायर कर दिया। कांस्टेबल रघुवंश सिंह की मौत हो गई। मुख्तार अपने साथियों के साथ रेलवे यार्ड से होता हुआ फरार हो गया। बताया जाता है कि लगभग 14 दिनों तक अलीनगर में अपने सहयोगी के यहां छिपा रहा। इस मामले में मुख्तार और उसके साथियों के खिलाफ धारा 302 और 307 के तहत मुकदमा भी दर्ज है।
कोयला व्यापारी रूंगटा अपहरण कांड
नंद किशोर रूंगटा बड़े कोयला व्यापारी थे। भेलूपुर थाना क्षेत्र के जवाहर नगर एक्सटेंशन स्थित काबरा भवन में रहते थे। चंदौली के चंधासी में उनका कारोबार चलता था। उनकी एक और बड़ी पहचान विश्व हिंदू परिषद कोषाध्यक्ष के रूप में भी थी। बताते हैं कि 22 जनवरी 1997 को चाय में नशीला पदार्थ पिलाकर मुख्तार उन्हें अपने साथ ले गया। परिवार से फिरौती मांगी गई। घरवालों ने फिरौती के पांच करोड़ रुपये दे भी दिए। बावजूद आज तक नंदकिशोर रूंगटा की लाश नहीं मिली। मामले की सीबीआई जांच भी हुई। मुख्तार के अलावा अताउर्रहमान, शहाबुद्दीन, इस्तियाज अहमद, लाला यादव, करमजीत सिंह और विजय सिंह आरोपित बनाए गए। सीबीआई की ओर से तैयार आरोपपत्र के अनुसार 22 जनवरी 1997 की शाम को नंद किशोर रूंगटा घर में कुछ काम कर थे। गार्ड ने आकर सूूचना दी कि विधायक मुख्तार अंसारी ने उन्हें मिलने बुलाया है। इसके बाद मुख्तार ने नंद किशोर रूंगटा को अपनी मारुती स्टीम कार की पिछली सीट पर बैठाया और लेकर चला गया। उसके बाद से रूंगटा को किसी ने नहीं देखा।
मुख्तार पर हाथ डालने के चलते डिप्टी एसपी को गंवानी पड़ी नौकरी
चंदौली के फेसुड़ा गांव निवासी शैलेंद्र सिंह जनवरी 2004 में एसटीएफ की वाराणसी यूनिट के प्रभारी थे। सेना से चुराई एलएमजी खरीदने के जुर्म में मुख्तार अंसारी पर पोटा लगवाया था। मुलायम सरकार ने मुकदमा वापस लेने के लिए शैलेंद्र सिंह पर दबाव बनाया। शैलेंद्र ने मना किया तो उल्टा उनके खिलाफ ही मुकदमा दर्ज हो गया। कार्रवाई से खिन्न शैलेंद्र सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।