चंदौली। सरकारी शिक्षा व्यवस्था का बंटाधार ऐसे ही नहीं हो रहा। पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों की कमी को दूर करने और पठन-पाठन व्यवस्था में सुधार को सरकार ने अनुदेशकों की नियुक्ति की। इन्हें शिक्षा मित्रों से अधिक मानदेय दिया जाता है। लेकिन चंदौली में कई अनुदेशक बच्चों की पढ़ाने की बजाय राजनीति की पाठशाला लगाते नजर आते हैं। खादी का लकदक कुर्ता-पाजामा पहनकर पार्टियों में अपनी नेतागिरी चमका रहे हैं।
कई अनुदेशक बने नेता
भाजयुमो जिलाध्यक्ष आशीष सिंह रघुवंशी का नाम इन दिनों चर्चा में है। आरटीआई कार्यकर्ता ने यह शिकायत की है कि आशीष सिंह अनुदेशक भी हैं और दोहरा लाभ ले रहे हैं। इस मामले में खंड शिक्षा अधिकारी चहनिया ने जांच आख्या बेसिक शिक्षा अधिकारी को भेज दी है। लेकिन आशीष रघुवंशी ही एकमात्र अनुदेशक नहीं जो शिक्षा नीति का माखौल उड़ा रहे हैं। बल्कि कई और अनुदेशक भी खादीधारी हो चुके हैं। समाजवादी शिक्षक सभा के जिलाध्यक्ष मयंक यादव सदर ब्लाक के पैतुआ में अनुदेशक के पद पर कार्यरत हैं। लेकिन इन्हें भी पार्टी में सक्रिय भूमिका निभाते अक्सर ही देखा जाता है। अशोक यादव भी अनुदेशक होने के साथ सपा में पदाधिकारी रहे। पार्टी का झंडा बुलंद करते नजर आते हैं। ये अनुदेशक स्कूलों में पढ़ाने की बजाए पार्टियों के मंच पर भाषणबाजी करते नजर आते हैं।
बेसिक शिक्षा अधिकारी सत्येंद्र कुमार सिंह का कहना है कि जो अनुदेशक राजनीतिक पार्टियों के पदाधिकारी है उनका मानदेय रोका जाएगा। आशीष सिंह के मानदेय पर भी रोक लगा दी गई है। यही नहीं अनुदेशकों और शिक्षा मित्रों के बाबत राज्य परियोजना कार्यालय से गाइड लाइन मंगाई जा रही है। ताकि आगे की कार्यवाही सुनिश्चित कराई जा सके।