चंदौली। लीजिए दो और पत्रकारों पर मुकदमा दर्ज हो गया। कसूर केवल इतना कि खबर प्रकाशित कर दी। सत्ता पक्ष के विधायक को आईना दिखा दिया। विधायक ने पुलिस के साथ मिलकर पत्रकारों की तालिबानी सजा मुकर्रर कर दी। दो पत्रकारों के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज करवा दिया। मुकदमा मंगलवार की रात को दर्ज हुआ लेकिन पुलिस ने दोपहर को ही पत्रकार को हिरासत में ले लिया और पूरे दिन उसका मानसिक उत्पीड़न किया। मामला चंदौली जिले के चकिया का है।
न्यूज पोर्टल के पत्रकारों ने चकिया विधान सभा के वनवासियों को लेकर खबर प्रकाशित की। कुछ मजदूरों के हवाले के खबर लिखी की काम कराने के बाद उनको भुगतान नहीं किया गया। चकिया विधायक को इसमें आरोपित बनाया। इसी खबर पर तिलमिलाए विधायक ने पहले तो पत्रकार को पुलिस से उठवा लिया। पूरे दिन थाने में बैठाए रखा इसके बाद अपने प्रतिनिधि के जरिए दो के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया। चकिया कोतवाली पुलिस ने पत्रकार कार्तिकेय पांडेय और रोहित तिवारी के खिलाफ मुकदमा कर कर लिया है। मीडिया की आवाज को दबाने और लोकतंत्र का गला घोंटने का यह पहला मामला नहीं है। इसके पहले भी कई पत्रकारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जा चुका है।
पत्रकारों ने दिया धरना
पुलिस की कार्रवाई और विधायक के रवैये को लेकर पत्रकारों में खासा आक्रोश व्याप्त है। पत्रकारों ने मुख्यालय स्थित धरनास्थल पर धरना दे दिया है। आरोप है कि यह पूरी तरह से दमनात्मक कार्रवाई है, जिसका पत्रकार विरोध करेंगे।
बेहद गरीब है पत्रकार कार्तिकेय का परिवार
पुलिस द्वारा हिरासत में लिया गया पत्रकार कार्तिकेय पांडेय बेहद ही गरीब परिवार से जुड़ा है। पूरा परिवार चकिया कस्बा में किराए के मकान में रहता है। पिता निजी स्कूल में आंशित मानदेय पर अध्यापक का कार्य कर परिवार की आजीविका चलाते हैं।
विपक्ष के नेताओं ने की कार्रवाई की कड़ी निंदा
सकलडीहा विधायक प्रभुनारायण यादव का कहना है कि एक विधायक को इस तरह का काम नहीं करना चाहिए। एक्ट का दुरुपयोग भी नहीं होना चाहिए। यह कौन सा तरीका है। हम पत्रकार वर्ग के साथ हैं। संघर्ष होना चाहिए।
विपक्ष के नेताओं ने पुलिस की इस कार्रवाई की कड़े शब्दों में निंदा की है। पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू का कहना है कि यह खुलेआम लोकतंत्रउ की हत्या होने जैसा मामला है। सत्ता पक्ष का विधायक पत्रकारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाए वह भी केवल खबर प्रकाशित होने पर यह निंदनीय है।