- गैरहाजिरी व अन्य कारणों से अधिकारी करते हैं वेतन रोकने की कार्रवाई वेतन अथवा वेतन वृद्धि रोकना दंड के रूप में नहीं है उल्लिखित कोर्ट ने भी वेतन वृद्धि को विधिक दंड न मानते हुए दिया है आदेश
- गैरहाजिरी व अन्य कारणों से अधिकारी करते हैं वेतन रोकने की कार्रवाई
- वेतन अथवा वेतन वृद्धि रोकना दंड के रूप में नहीं है उल्लिखित
- कोर्ट ने भी वेतन वृद्धि को विधिक दंड न मानते हुए दिया है आदेश
चंदौली। अधिकारी अब कार्रवाई के नाम पर शिक्षकों व कर्मचारियों का वेतन अथवा वेतन वृद्धि नहीं रोक सकेंगे। महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने इसकी शिकायक को गंभीरता से लेते हुए आदेश दिया। उन्होंने सभी बीएसए को पत्र भेजकर कार्रवाई के नाम पर शिक्षकों व कर्मचारियों का वेतन अब न रोकने की हिदायत दी है।
उन्होंने उल्लेख किया है कि विभागीय कार्यक्रमों में अपेक्षित परिणाम न प्राप्त होने व विभागीय आदेशों की अवहेलना के क्रम में शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों पर कार्रवाई की जाती है। इस दौरान कार्रवाई के नाम पर शिक्षकों का वेतन अवरूद्ध करने के प्रकरण संज्ञान में आए हैं। उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (अनुशासन व अपील) नियमावली 1999 तथा उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद कर्मचारी वर्ग नियमावली 1973 में वेतन अवरूद्ध करना किसी प्रकार के दंड के रूप में उल्लिखित नहीं है। ऐसे में जब तक स्थानीय नियमों के अधीन औपचारिक आदेश निर्गत न हो, किसी भी कार्मिक के वेतन अथवा वेतन वृद्धि को रोका नहीं जाएगा, अन्यथा यह दायित्व निर्धारण का विषय होगा। निलंबन अथवा अनुशासनात्मक प्रक्रिया के अधीन व निर्धारित प्रपत्रों पर ही कार्रवाई की जाए, अन्यथा कार्रवाई करने वाले अधिकारी के विरूद्ध नियम विरूद्ध कार्य करने की कार्रवाई की जाएगी। किसी भी तात्कालिकता के प्रकरण में डीएम की अनुमति से उक्त कर्मचारी को प्रतीक्षा में रखा जा सकता है, जिसका स्थायी अनुमोदन निदेशक बेसिक शिक्षा की ओर से तथ्यों के आधार पर अनुमोदित किया जाएगा।