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चंदौली न्यूज : CBSE बोर्ड परीक्षा अब साल में दो बार, छात्रों को मिलेगा दूसरा मौका, जानिये बदलाव का पढ़ाई पर क्या पड़ेगा प्रभाव

चंदौली। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने कक्षा 10 की बोर्ड परीक्षा साल में दो बार आयोजित करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। यह नया नियम 2026 से लागू होगा और इसका उद्देश्य छात्रों को परीक्षा में सुधार का अवसर देना तथा तनाव को कम करना है। इस नई प्रणाली के तहत छात्र अब दो बार बोर्ड परीक्षा देने का विकल्प चुन सकते हैं, जिससे उनकी पढ़ाई की योजना अधिक लचीली और प्रभावी होगी। यह बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के तहत किया गया है, जिसमें छात्रों को आधुनिक और उन्नत शिक्षा प्रणाली प्रदान करने पर जोर दिया गया था। आइए डैडी इंटरनेशनल स्कूल बिशुनपुरा के फाउंडर डॉ. विनय प्रकाश तिवारी से इस बदलाव को विस्तार से समझते हैं।

 

CBSE की नई परीक्षा प्रणाली कैसी होगी?

साल में दो बार होगी बोर्ड परीक्षा

अब कक्षा 10 के छात्र साल में दो बार बोर्ड परीक्षा दे सकते हैं। पहली परीक्षा फरवरी-मार्च में और दूसरी परीक्षा मई में होगी। छात्र अपनी सुविधा के अनुसार किसी एक परीक्षा में बैठ सकते हैं या दोनों में उपस्थित होकर अपने अंकों में सुधार कर सकते हैं।

 

दोनों परीक्षाओं का पाठ्यक्रम पूरा सिलेबस कवर करेगा

पहली और दूसरी परीक्षा में पूरा सिलेबस आएगा। इससे छात्रों को अपने कमजोर विषयों पर दोबारा मेहनत करने और अपना स्कोर बेहतर बनाने का मौका मिलेगा।

 

प्रैक्टिकल परीक्षा साल में केवल एक बार होगी

छात्रों को प्रयोगात्मक (प्रैक्टिकल) परीक्षा या आंतरिक मूल्यांकन सिर्फ एक बार ही देना होगा। यह मूल्यांकन पूरे वर्ष के लिए मान्य रहेगा, चाहे छात्र किसी भी परीक्षा में शामिल हों। इससे छात्रों को अतिरिक्त परीक्षा के दबाव से राहत मिलेगी।

 

परीक्षा केंद्र में कोई बदलाव नहीं होगा

छात्रों को साल में दो बार परीक्षा देने की सुविधा मिलेगी, लेकिन उनका परीक्षा केंद्र वही रहेगा, जो पहली परीक्षा के लिए निर्धारित किया गया था। इससे परीक्षा प्रक्रिया को व्यवस्थित और सुचारु रूप से संचालित किया जा सकेगा।

 

परीक्षा शुल्क पर अभी निर्णय लंबित

CBSE ने परीक्षा शुल्क को लेकर अभी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है। हालांकि, संभावना है कि छात्रों को दोनों परीक्षाओं के लिए एक साथ शुल्क भरना पड़ सकता है।

 

छात्रों को इस बदलाव से क्या लाभ होगा?

अब छात्रों को सिर्फ एक परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव नहीं रहेगा। यदि कोई छात्र पहली परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाता, तो वह दूसरी परीक्षा में सुधार कर सकता है। इससे परीक्षा का डर कम होगा और छात्रों को आत्मविश्वास मिलेगा।

 

दोबारा प्रयास करने का मौका मिलेगा

पहले, यदि कोई छात्र बोर्ड परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाता था, तो उसे पूरा एक साल इंतजार करना पड़ता था। लेकिन अब उसे उसी साल दूसरा मौका मिलेगा, जिससे उसका साल बर्बाद नहीं होगा।

 

अंतरराष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली के अनुरूप सुधार

यह नया बदलाव अंतरराष्ट्रीय शिक्षा बोर्डों जैसे IB (International Baccalaureate) और IGCSE के समान है, जहां छात्रों को साल में दो बार परीक्षा देने का विकल्प मिलता है। इससे CBSE की परीक्षा प्रणाली अधिक लचीली और वैश्विक मानकों के अनुरूप होगी।

 

छात्र अपनी सुविधा के अनुसार परीक्षा दे सकते हैं

छात्र चाहें तो साल में सिर्फ एक बार परीक्षा दें या दोनों बार परीक्षा देकर अपने अंकों में सुधार करें। इससे उन्हें बेहतर योजना बनाने और मानसिक रूप से संतुलित रहने में मदद मिलेगी।

 

CBSE बोर्ड परीक्षा के नए नियम कब लागू होंगे?

यह नया नियम 2026 से प्रभावी होगा। छात्रों को अपनी सुविधानुसार दोनों परीक्षाओं में या किसी एक परीक्षा में बैठने का विकल्प मिलेगा। CBSE ने 9 मार्च 2025 तक इस नियम पर सार्वजनिक प्रतिक्रिया मांगी है। इसके बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा।

 

क्या यह बदलाव छात्रों और शिक्षकों के लिए सही रहेगा?

छात्रों के लिए : यह निर्णय छात्रों के हित में लिया गया है। इससे परीक्षा का तनाव कम होगा, दूसरा मौका मिलेगा, और पढ़ाई का तरीका अधिक लचीला और प्रभावी बनेगा। अभिभावकों को भी इस बदलाव से सकारात्मक प्रभाव महसूस होगा क्योंकि उनके बच्चे परीक्षा के दबाव से मुक्त होकर पढ़ाई कर सकेंगे। कुछ शिक्षकों का मानना है कि इससे शिक्षा प्रणाली अधिक जटिल हो सकती है। साल में दो बार परीक्षा कराने से पाठ्यक्रम पूरा करने में कठिनाई हो सकती है और शिक्षकों पर अतिरिक्त कार्यभार बढ़ सकता है।

 

CBSE द्वारा साल में दो बार बोर्ड परीक्षा कराने का निर्णय छात्रों के लिए एक सकारात्मक बदलाव है। इससे परीक्षा का डर कम होगा, छात्रों को अपने प्रदर्शन को सुधारने का मौका मिलेगा और पढ़ाई अधिक व्यवस्थित होगी। हालांकि, इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि इसे किस तरह लागू किया जाता है। यदि इसे सही तरीके से लागू किया जाता है, तो यह भारत की शिक्षा प्रणाली में एक बड़ा सुधार साबित हो सकता है और CBSE बोर्ड को अंतरराष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली के समकक्ष ला सकता है।

 

 

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