चंदौली। व्यक्ति के भाव और प्रेम में भगवान के प्रति कभी अभाव नहीं होना चाहिए। अगर राम नाम पर विश्वास हो जाएगा, तो वह आपके हो जाएंगे। यदि व्यक्ति को विश्वास है तो पत्थर में भी भगवान दिखते हैं। अगर विश्वास नहीं है तो भगवान में पत्थर दिखने लगता है। इसको कभी भी खंड-खंड नहीं किया जा सकता है। उसे ही अखंड माना जाता है। भगवान श्री राम तो अखंड हैं। उक्त बातें काशी से पधारी कथावाचिका मानस मयूरी शालिनी त्रिपाठी ने राम कथा के सातवीं निशा पर कहीं।
उन्होंने कहा कि मनुष्य के जीवन में जितना ही अधिक संघर्ष होगा।उसे उतनी ही बड़ी उपलब्धि होगी। इसलिए हमेशा संघर्ष करते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब तक किसी को मान, सम्मान और प्रेम व्यक्ति नहीं देगा तो उसे भी यह मिलने वाला नहीं है।और जब मनुष्य अपने जीवन में कुसंग की दृष्टि को नहीं सुधारेंगे तब तक यह सृष्टि में सुधार आने वाला नहीं है। इसलिए कुसंगता को छोड़ने की जरूरत है।कहा कि जिस व्यक्ति को अगर को अगर अपनी मां से प्रेम नहीं है।वह उनका सम्मान नहीं करता है तो वह मनुष्य कहलाने के लायक नहीं है।कथा का शुभारंभ प्रधान पति अरविंद पाण्डेय,व समाजसेवी अरविंद सिंह ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। इस दौरान पूर्व विधायक मनोज कुमार सिंह डब्लू,मंण्टू सिंह, विजयानंद द्विवेदी,रामकिंकर राय, अवध बिहारी मिश्रा,डॉ गीता शुक्ला, प्रतिभा त्रिपाठी, कैलाश प्रसाद जायसवाल,शर्मा नंद पाण्डेय,अनिल उपाध्याय, सहित तमाम लोग मौजूद रहे।