चंदौली। पर्यावरण दिवस के दिन प्रशासनिक अमला, वन विभाग व स्वयंसेवी संस्थाएं पर्यावरण संरक्षण को लेकर संजीदा दिखती हैं, लेकिन यह कवायद सिर्फ एक-दो दिनों तक ही सीमित है। कोरमपूर्ति कर प्रशासनिक अमला शांत बैठ जाता है। वहीं वातावरण में घातक जहरीला धुआं फैलाने वाले कल-कारखाने लगातार संचालित होते हैं। इन्हें नियमों के दायरे में लाने के लिए ईमानदार पहल नहीं होती है। इसकी वजह से पर्यावरण प्रदूषण का दौर लगातार जारी है।
ग्रामीण इलाकों में अधिकांश ईंठ भट्ठे मानक के विपरीत संचालित हो रहे हैं। चिमनियों की ऊंचाई कम है तो कहीं किसी अन्य प्रकार की कमी है। इसकी वजह से पर्यावरण में प्रदूषण की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है। चिमनियों से निकलने वाला जहरीला धुआं लोगों को बीमार बना रहा है। वायु प्रदूषण से लोगों में सांस की बीमारी बढ़ रही है। वहीं हृदय रोग, किडनी फेल होना, कैंसर, अस्थमा और तमाम प्रकार के बीमारियों का कारण बनता जा रहा है। प्रदूषित वातावरण और आसपास के पेड़ पौधों को भी नुकसान पहुंचा रही हैं।
एक दर्जन से अधिक ईंट भट्ठे फैला रहे प्रदूषण
चकिया तहसील क्षेत्र के गांधीनगर, बरहुआ, शाहपुर गांव के आसपास लगभग 20 ईट भट्ठों के चिमनियों से निकलते धुए से पर्यावरण में प्रदूषण की मात्रा दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। विभागीय अधिकारी इसको लेकर मौन हैं। ईंट भट्टा संचालन के लिए बाकायदा शासन की ओर से मानक तय किए गए हैं, लेकिन ईट भट्ठा मालिक खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। निजी स्वार्थ के लिए आम जनमानस के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करते नजर आ रहे हैं।