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Chandauli News : अपने कर्मों से सुख-दुख पाता है मनुष्य, पांचवें दिन हुई पूतना मोक्ष की कथा

चंदौली। भक्त चाहे जिस भी भावना के साथ भगवान की शऱण में जाता है, प्रभु उसका कल्याण जरूर करते हैं। पुतना भगवान श्रीकृष्ण को मारने की नीयत से मथुरा से वृंदावन के नंद भवन में आई थी। उसने प्रभु को अपना दूध पिलाया। भगवान ने उसे भी मोक्ष प्रदान कर दिया। श्री वत्सेश्वर सेवा ट्रस्ट की ओर से मसोई गांव में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन कथा वाचक शिवम शुक्ला ने श्रोताओं को पुतना मोक्ष की कथा सुनाई।

पूर्णोदय महिला महाविद्यालय की प्रबंधक मंगला तिवारी, गैलेक्सी हास्पिटल के न्यूरो सर्जन डा. आशुतोष चतुर्वेदी ने दीप प्रज्ज्वलित कर कथा का शुभारंभ किया। कथा के मध्य में चांद कैमूर बिहार स्थित उदितायन मानव भारती स्कूल के प्रबंधक धनंजय पांडेय को अंगवस्त्रम व माल्यार्पण कर स्वागत किया गया। कथा वाचक ने कहा कि भगवान ने ऐसी दुष्ट पुतना का कल्याण कर दिया, क्योंकि उसने प्रभु को स्तनपान कराया था। भगवान कहते है कि पूतना कैसी भी थी, लेकिन उसने मां की तरह मुझे अपना दूध पिलाया था। भगवान इतने दयालु है कि जो उनकी शरण मे किसी भी भावना से भक्त आए, उसे अपना लेते हैं। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की अनेक बाल लीलाओं का वर्णन किया। कहा कि गोकुलवासी इंद्र की पूजा करते थे। प्रभु ने नंद बाबा से पूछा कि आपलोग इंद्र की पूजा क्यों करते हैं, तो नंद बाबा ने कहा कि इंद्र बारिश कराते हैं। उससे हमारा गोकुल हरा-भरा रहता है। सभी को अन्न मिलता है। भगवान ने कहा  बाबा इंद्र का काम है जल वृष्टि करना। इसलिए इंद्र की पूजा क्यों करें। उन्होंने गोकुलवासियों से गोवर्धन की पूजा कराई। कथा वाचक ने कहा कि व्यक्ति अपने कर्म के आधार पर ही सुख और दुख पाता है।

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