चंदौली। अखिल भारतीय किसान सभा के सदस्यों ने मंगलवार को चकिया में जुलूस निकाला। इस दौरान नोएडा और हरियाणा में गिरफ्तार किए गए किसानों की रिहाई की मांग को लेकर जमकर नारेबाजी की। चेताया कि यदि किसानों को जल्द रिहा नहीं किया गया तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।
किसानों ने कहा कि ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण कार्यालय के सामने 23 अप्रैल से किसान अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए शांति पूर्वक धरना दे रहे थे। भूमि अधिग्रहण के बाद किसानों को 10 फीसद विकसित भूमि का प्लाट देने वाला समझौता पूर्व में हुआ था, जिसको उच्च न्यायालय इलाहाबाद में पेश कर न्यायालय का आदेश हो चुका था, लेकिन प्राधिकरण ने मात्र छह फीसद विकसित प्लाट दिया है। किसान पूरा दस फीसद प्लाट दिए जाने की मांग कर रहे थे। भूमिहीनों को 40 वार्गमीटर का प्लाट दिए जाने, भूमि अधिग्रहण कानून 2013 को लागू कर बाजार रेट का चार गुना देने, बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने आदि की मांग कर रहे थे। मांगों पूरा करने के बजाय प्राधिकरण प्रशासन ने हठधर्मिता अपनाई और तानाशाही पूर्वक किसानों के आंदोलन को कुचलना चाहा। रात के अंधेरे में कायरता दिखाते हुए आंदोलनरत 33 किसानों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। हरियाणा में सूरजमुखी की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ख़रीद और एमएसपी की गारंटी की मांग कर रहे किसानों पर हरियाणा सरकार ने लाठी डंडे बरसा कर दमन का रास्ता अपनाया। संयुक्त किसान मोर्चा के प्रमुख किसान नेता गुरुनाम सिंह चढूनी सहित दर्जनों किसानों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। यह सरासर अन्याय है। किसान सभा के सदस्यों ने गिरफ्तार किसानों को रिहा करने, किसानों की जनहित की मांगों को पूरा करने, सूरजमुखी की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ख़रीद के लिए हरियाणा सरकार को निर्देशित करने, एमएसपी की गारंटी के लिए कानून बनाने और किसानों पर दर्ज मुकदमों को वापस लेने की मांग की। चेताया कि यदि मांग पर विचार नहीं किया गया उग्र आंदोलन किया जाएगा।