
चंदौली। पुलिस चाह ले तो पत्ता तक ना हिले। लेकिन जिले के रास्ते पशु तस्करी बदस्तूर जारी है। तो कह सकते हैं कि पशु तस्करी के पीछे कुछ पुलिसकर्मियों का भी हाथ है। अब तो इन आरोपों के पुख्ता सबूत भी मिलने लगे हैं। बबुरी पुलिस के हत्थे चढ़े पशु तस्करों के सरगना बर्खास्त आरक्षी अनिल सिंह ने पूछताछ में कई अहम राज खोले हैं।

पुलिसकर्मियों की पशु तस्करों से मिलीभगत
जौनपुर में तैनात आरक्षी आदित्य राय और बर्खास्त सिपाही अनिल सिंह पशु तस्करों का गैंग चलाते थे। इनका नेटवर्क इटावा से लेकर चंदौली तक फैला है। अनिल सिंह इस धंधे में कई वर्षों से है। कुछ वर्ष पूर्व बबुरी पुलिस ने इसे पकड़ा था। पूछताछ में पता चला कि अनिल सिंह चंदौली के 30 पुलिसकर्मियों को पशु तस्करी का पैसा भेजता है। लेन-देन से जुड़े दस्तावेज भी पुलिस के हाथ लगे। तत्कालीन सैयदराजा थाना प्रभारी जो इस समय सोनभद्र के मलाईदार थाने पर तैनात हैं वह भी अनिल सिंह ने पैसे लेते थे। जबकि चंदौली थाने का दारोगा भी पशु तस्करी के एवज में मोटी रकम वसूलता था। इस तरह छोटे बड़े कुल 30 से 32 पुलिसकर्मियों के बैंक खातों में आनलाइन ट्रांजेक्शन के सबूत मिले। अधिकांश पुलिसकर्मी सैयदराजा, चंदौली और अलीनगर थाने में तैनात थे। पुलिस विभाग के सूत्रों के अनुसार एक जबरिया रिटायर पुलिस अधिकारी की पत्नी के खाते में भी पैसे भेजे जाने की बात सामने आई थी। एक साथ इतने पुलिसकर्मियों का नाम पशु तस्करी से जुड़ने के बाद तत्कालीन एसपी बैकफुट पर आ गए। केवल अनिल सिंह के खिलाफ कार्रवाई कर मामले को दबा दिया गया। तत्कालीन एसपी ने उन पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जो अनिल सिंह से पशु तस्करी का पैसा लेते थे। कारण कुछ पुलिसवाले एसपी साहब के काफी करीबी थे। देखना यह है कि महकमा आस्तीन में छिपे सांपों के खिलाफ क्या एक्शन लेता है।