
चंदौली। चंदौली लोक सभा की तीन निकायों में बीजेपी महज एक सीट पर जीत दर्ज कर पाई है। यह हाल तब है जब पूरे प्रदेश में भाजपा की जीत का डंका बजा है। ऐसे में नगर पालिका परिषद पीडीडीयू नगर और नगर पंचायत चंदौली में पार्टी प्रत्याशियों को मिली करारी हार के कई मायने निकाले जा रहे हैं। कहा तो यहां तक जा रहा है कि शहरी मतदाताओं ने जिले के सांसद और स्थानीय विधायक को एक तरह से आईना दिखा दिया है। हार के साथ संगठन की कमजोरी भी खुलकर सामने आ गई है। तीन विधायक, एक केंद्रीय मंत्री और राज्य सभा सांसद वाले जिले में बीजेपी की असफलता आगामी लोक सभा चुनाव के लिहाज से खतरे की घंटी ही तो है।
पीडीडीयू नगर और चंदौली में मिली हार के कारणों की पड़लात करें तो टिकट बंटवारे में अपने चहेतों को प्राथमिकता देना भी बड़ी वजह रही। जनता का मूड भांपने की बजाए अपने करीबियों को सभासद और चेयरमैन का टिकट दिया गया। पीडीडीयू नगर में हालत इस कदर खस्ता हुई कि बीजेपी विधायक अपना वार्ड भी हार गए। दोनों ही निकायों में अध्यक्ष पद पर निर्दल उम्मीदवारों ने बीजेपी प्रत्याशियों को हरा दिया। जबकि चंदौली सांसद व तथा क्षेत्रीय विधायक ने प्रचार-प्रसार में पूरी ताकत झोंक दी थी। चंदौली में मठाधीशों और पार्टी से नाराज जनमत वाले नेताओं के घर-घर जाकर बंद कमरे में उन्हें मनाने की चंदौली सांसद की युक्ति भी काम न आई। विकास के लिए पांच साल से तरस रहे शहरी मतदाताओं ने अबकी जनप्रतिनिधियों के वादों पर विश्वास नहीं किया। भले ही प्रदेश में ट्रिपल इंजन की सरकार बन गई हो लेकिन लोक सभा चंदौली में मतदाताओं ने अलग ही पटकथा लिख दी है। जिले का कमजोर संगठन भी हार की बड़ी वजह रहा। कद्दावर नेता के चहेते होने के कारण संगठन में महत्वपूर्ण पदों पर बैठे पदाधिकारियों की कार्यकर्ताओं और जनता में ढीली पकड़ ने पार्टी का काम और मुश्किल कर दिया। जिले में बैठे लोग बागियों को मना नहीं पाए। बीजेपी से टिकट मांगने वाले नेता पार्टी प्रत्याशियों के खिलाफ ही चुनावी मैदान में खड़े हो गए। पार्टी निश्चित ही हार के कारणों की समीक्षा करेगी और आगामी लोक सभा चुनाव से पहले कमजोरियों को दूर करने का प्रयास करेगी।