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आदिशक्ति के दरबार में उमड़ा आस्था का सैलाब, मां का दर्शन कर भक्त हुए निहाल

मीरजापुर। कोरोना के डर पर आस्था भारी पड़ी। शारदीय नवरात्र के पहले दिन शनिवार को विंध्य धाम प्रदेश और देश के कोने-कोने से आए श्रद्धालुओं से पट गया। मां विंध्यवासिनी दरबार में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। घंटों कतार में लगकर हजारों लोगों ने मां का दर्शन किया और निहाल हो उठे। प्रथम आराध्य देवी माता शैल पुत्री के मनोहारी रूप को निहारा और सुख समृद्धि की कामना की। देर रात्रि से ही भक्त मां विंध्यवासिनी के दर्शन-पूजन के लिए लाइन में लग गए और अपनी बारी का इंतजार करने लगे। भोर में मंगला आरती के बाद पूजन-अर्चन का जो दौर शुरू हुआ, वह देर रात तक जारी रहा। विंध्यवासिनी दरबार में हाजिरी लगाने के बाद मां काली और मां अष्टभुजा के दर्शन के पश्चात एक बार फिर मां विंध्यवासिनी का दर्शन पूजन कर त्रिकोण के महात्म्य को पूरा किया। पहले दिन गुड़हल, कमल व गुलाब के पुष्पों से आदिशक्ति मां विंध्यवासिनी देवी का भव्य श्रृंगार किया गया।


नवरात्र के पहले दिन घंटा-घड़ियाल, शंख, नगाड़ा एवं शहनाई की गूंज से विंध्यधाम परिसर गुंजायमान रहा। देश के कोने-कोने से आए श्रद्धालुओं से विंध्यधाम की सातों गलियां पटी रहीं। नवरात्र के पहले दिन भक्तों ने कलश स्थापना के बाद विधि विधान से पूजन अर्चन किया।

महाकाली व मां अष्टभुजी दरबार में नवाया शीश

नवरात्र के पहले दिन शक्ति क्षेत्र में श्रद्धालुओं का भारी हुजूम उमड़ पड़ा। मां विंध्यवासिनी देवी का दर्शन-पूजन करने के बाद बड़ी संख्या में भक्तों ने त्रिकोण परिक्रमा किया और पुण्य के भागी बने। कालीखोह स्थित महाकाली के भव्य स्वरूप का दर्शन कर श्रद्धालु निहाल हो उठे, वहीं पहाड़ पर विराजमान मां अष्टभुजी देवी के दरबार में दर्शन-पूजन का क्रम अनवरत चलता रहा। मंदिर के बाहर कतार में खड़े नर-नारी माता का जयकारा लगाते मंदिर की तरफ बढ़े जा रहे थे। दर्शन-पूजन बाद भक्तों ने लंगूरों को चना-गुड़ खिलाकर पुण्य कमाया।

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