चंदौली। धान की फसल में बालिया निकल चुकी हैं। बालियां पकने के बाद किसान इसकी कटाई व मड़ाई करेंगे। हार्वेस्टिंग के बाद पराली जलाने को लेकर जिला प्रशासन गंभीर हो गया है। जिलाधिकारी ईशा दुहन ने ग्राम प्रधानों को पत्र भेजकर उनकी ग्राम पंचायतों में किसानों को पराली न जलाने के लिए जागरूक करने की अपील की है। उन्होंने पत्र में पराली जलाने से निकलने वाली खतरनाक गैसों के बारे में भी आगाह किया है।
डीएम ने लिखा है कि एक टन अनाज की पराली जलाने से 63 किलोग्राम कणिका तत्व, 60 किलो कार्बन मोनोआक्साइड, 1460 किलोग्राम कार्बन डाई आक्साईड, 199 किलोग्राम राख व दो किलोग्राम सल्फर डाई आक्साईड निकलता है। खतरनाक गैस से आंखों में जलन व त्वचा रोग की शिकायत होती है। ऐसे में सर्वोच्च न्यायालय व राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने इस पर रोक लगा दी है। उन्होंने ग्राम प्रधानों से अपील की है कि ग्राम पंचायतों में किसानों को जागरूक करें। उन्हें पराली जलाने की बजाय सड़ाने के लिए प्रेरित करें। वहीं फसल अवशेष निस्तारण की प्रक्रिया के बारे में बताएं।