चंदौली। इसे भ्रष्टतंत्र नहीं तो और क्या कहेंगे। धानापुर ब्लाक के बेवदा गांव के ग्रामीणों ने वर्ष 2015 से 2020 के बीच ग्राम पंचायत में कराए गए विकास कार्यों में अनियमितता की शिकायत की। बकायदे हलफनामा देकर अपना पक्ष रखा। डीएम के आदेश पर दो सदस्यीय जांच टीम जांच करने गई तो सेक्रेटरी ने कार्यों से जुड़े कोई भी अभिलेख उपलब्घ नहीं कराए। इसके बाद डीपीआरओ ब्रह्मचारी दूबे ने सात दिसंबर को ग्राम पंचायत अधिकारी को नोटिस जारी करते हुए एक सप्ताह के भीतर अपना पक्ष रखने को कहा। लेकिन सेक्रेटरी ने आदेशों को ठेंगा दिखा दिया। बावजूद इसके लापरवाह सेक्रेटरी और पूर्व प्रधान के खिलाफ विभाग कार्रवाई नहीं कर सका है। जबकि शिकायतकर्ता अधिकारी कार्यालयों का चक्कर काट रहे हैं। यह हाल तब है जब सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार मुक्त विकास के लिए अधिकारियों की नकेल कस रहे हैं।
बेवदा के ग्रामीणों ने रामनगीना राम के नेतृत्व में जिलाधिकारी से शिकायत की कि तत्कालीन ग्राम प्रधान दिलीप कुमार और सेक्रेटरी अरविंद कुमार ने मनरेगा के तहत कराए जाने वाले कच्चे-पक्के विकास कार्यों में व्यापक अनियमितता की है। डीएम ने फरवरी 2021 में सहायक निदेशक बचत और एक्सईएन प्रांतीय खंड लोक निर्माण विभाग को बतौर जांच अधिकारी नामित करते हुए 15 दिन में स्पष्ट आख्या उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। जांच में अनियमितता सामने आने के बाद दिसंबर में डीपीआरओ ने सेक्रेटरी अरविंद कुमार को नोटिस जारी करते हुए लिखा कि जांच अधिकारियों को अभिलेख उपलब्घ नहीं कराए गए। ऐसे में प्रथम दृष्ट्या यह प्रतीत हो रहा है कि ग्राम पंचायत अधिकारी और प्रधान ने व्यापक रूप से वित्तीय अनियमितता की है। सात दिन के भीतर अपना पक्ष नहीं रखने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी। लेकिन आज तक दोषियों के खिलाफ विभाग कार्रवाई नहीं कर सका है। इस बाबत डीपीआरओ ब्रह्मचारी दूबे का कहना है कि सेक्रेटरी ने जांच अधिकारियों को अभिलेख उपलब्ध नहीं कराए थे। जिसके चलते जांच पूरी नहीं हो सकी। चुनाव के चलते इस मामले में कार्यवाही आगे नहीं बढ़ सकी। जल्द ही जांच प्रक्रिया पूरी कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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