चंदौली। खबर महंगाई की मार से करार रहे मध्यम और निम्न वर्ग को विचलित कर सकती है। अपने सपनों का आशियाना बनाना अब आसान नहीं रह गया। ईंट भट्ठा उद्योग पर महंगाई की जबर्दस्त मार पड़ी है। कंपोजिशन स्कीम का दायरा डेढ़ करोड़ से घटाकर 20 लाख रुपये कर दिया गया। जिसके बाद ईंट भट्ठा उद्योग इस स्कीम से बाहर हो गया। ऐसे में ईंट भट्ठा संचालकों को एक प्रतिशत के स्थान पर छह से 12 प्रतिशत तक टैक्स देना होगा।
कोयले की कमी भी जिम्मेदार
ईंट भट्ठा उद्योग के प्रभावित होने का एक कारण कोयला की किल्लत भी है। आठ हजार रुपये में मिलने वाला कोयला अब 20 हजार रुपये में भी आसानी से नहीं मिल पा रहा है। जाहिर सी बात है ईंट प्रति हजार पांच से छह सौ रुपये महंगा हो सकता है।
आसमान छू रहे सरिया और गिट्टी के दाम
सरिया और गिट्टी के दाम पहले ही आसमान छू रहे हैं। सरिया की कीमत पिछले दो महीने में ही दोगुनी हो गई है। कुछ यही हाल गिट्टी का भी है। सीमेंट की कीमतें भी पहले ही तुलना में बढ़ी हैं। अब ईंट भी महंगा हो जाएगा। ऐसे में मध्यम और गरीब वर्ग के सामने और मुश्किल खड़ी होने वाली है।
सरकार पर आरोप, महंगाई पर नहीं लगा पा रही लगाम
ईंट भट्ठा संचालक और जिला पंचायत सदस्य जहांगीर गुड्डू का कहना है कि सरकार तानाशाही पर उतर आई है। बेलगाम महंगाई बढ़ने से आम आदमी की कमर टूट गई है। टैक्स बढ़ने से ईंट उद्योग बंद होने की कगार पर पहुंच गया है। सरकार छोटे उद्यमियों की बलि चढ़ाकर बड़े व्यवसायियों को फायदा पहुंचा रही है।
सरकार की नीति से ईंट भट्ठा उद्योग पर प्रभावित हुआ है। भट्ठा संचालक कंपोजिशन स्कीम से बाहर हो गए हैं। धरना-प्रदर्शन का भी कोई असर नहीं हो रहा। भट्ठा संचालकों की सुनने वाला कोई नहीं है। सरकार से रियायत की उम्मीद है। – रतन श्रीवास्तव, चेयरमैन उत्तर प्रदेश ईंट निर्माता समिति