चंदौली। भाजपा ने मुगलसराय व चकिया के वर्तमान विधायकों का टिकट काटकर नए चेहरों को मौका दिया है। पार्टी के इस निर्णय के पीदे जाति समीकरण को साधना एक वजह हो सकती है लेकिन इस राजनीतिक घटनाक्रम का दूसरा पहलू भी है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। जनता तो दूर पार्टी भी विधायकों के कामकाज से खुश नहीं थी। संगठन से तालमेल का अभाव की टिकट कटने की वजह बनी। विधायकों के समर्थकों में मायूसी छाई हुई है।
टिकट कटने की तीन प्रमुख वजहें
विधायकों का टिकट करने की तीन प्रमुख वजहों पर गौर करें तो दोनों विधायक न तो जनता का भरोसा जीत पाए और न ही संगठन की नजर में अपनी बेहतर छवि बना पाए। इसकी वजह से दोनों विधायकों को दरकिनार करते हुए पार्टी ने दूसरों पर भरोसा जताया।
1. संगठन से तालमेल का अभाव
मुगलसराय विधायक साधना सिंह व चकिया के शारदा प्रसाद का टिकट कटना संगठन से तालमेल के अभाव के रूप में देखा जा रहा है। सूत्रों की मानें तो पार्टी पदाधिकारी व कार्यकर्ता भी विधायकों के कामकाज से खुश नहीं थे। अंदरखाने दोनों का विऱोध जारी था। इसे भी विधायकों का टिकट कटने की बड़ी वजह माना जा रहा है।
2. जनता के भरोसे पर नहीं उतरे खरे
जनता को सरकार व विधायकों से काफी उम्मीदें थीं। हालांकि, विधानसभा क्षेत्रों में विकास की रफ्तार धीमी रही। वहीं जनता मूलभूत सुविधाओं से वंचित रही। इसकी वजह से विधायक जनता का भरोसा नहीं जीत सके। पार्टी ने अपने स्तर से सर्वे कराया था। इसमें विधायकों की छवि ठीक न होने के तथ्य सामने आने के बाद उसने किनारा कर लिया।
3. दागदार रहा दामन
भाजपा सरकार ने हमेशा भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टालरेंस की बात की, लेकिन विधायकों का दामन दागदार रहा। कभी न कभी किसी न किसी मामले को लेकर विधायकों पर आरोप लगते रहे। इसकी शिकायत संगठन के केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंचती रही। दोनों ही विधायकों पर समय-समय पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगते रहे। चकिया विधायक पर गरीबों का जमीन कब्जा करने संबंधी आरोप लगे तो मुगलसराय विधायक को लेकर भी कई तरह की नकारात्मक खबरें सामने आईं।