चंदौली। खबर पढ़ना शुरू करें इससे पहले आप को बता दें कि ज्वाइंट मजिस्ट्रेट पीपी मीणा का स्थानांतरण अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण कानपुर के पद पर हो चुका है। पीपी मीणा का नाम जिलेवासियों के जेहन में सालों साल तक ताजा रहेगा। ऐक ऐसा जुनूनी आईएएस जिसने नौकरशाही की परिभाषा ही बदल कर रख दी। कार्यालय में बैठ कर हुकुम बजाने की बजाए फरियादियों की चौखट तक पहुंचकर उनको न्याय दिलाया। जिसका नाम सुनकर ही भू-माफियाओं के पसीने छूट जाते थे। अपने तकरीबन डेढ़ दो वर्षों के कार्यकाल में एसडीएम रहते हुए कुछ ऐसे फैसले लिए जिनकी चर्चा वर्षों तक होती रहेगी।
भू-माफिया पर लगाया एक करोड़ का जुर्माना, कुर्क करा डाली संपत्ति
चकिया क्षेत्र के मुड़हुआ गांव में लल्लन उपाध्याय ने 25 साल से गांव के पांच तालाबों पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा था। एसडीएम पीपी मीणा ने न सिर्फ तालाबों को कब्जामुक्त कराकर ग्राम सभा के हवाले किया बल्कि आरोपित पर एक करोड़ का भारी भरकम जुर्माना ठोंक दिया। लल्लन इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट तक गए लेकिन वहां से भी उन्हें कोई राहत नहीं मिली। उल्टा न्यायालय ने उन्हें फटकार लगाई। जुर्माने की वसूली के लिए पीपी मीणा ने लल्लन की लाखों की जमीन नीलाम करा दी। यह चंदौली के न्यायिक इतिहास का सबसे चर्चित फैसला था।
काशी नरेश की संपत्ति को राज्य सरकार की संपत्ति घोषित कर दी
ज्वाइंट मजिस्ट्रेट व चकिया एसडीएम प्रेमप्रकाश मीणा की न्यायालय ने चकिया नगर में स्थित काली माता मंदिर पोखरा, कालिका धाम कालोनी, भैसही के तिवारी का हाता, सब्जी मंडी समेत 58 बीघा जमीन को राज्य सरकार की संपत्ति घोषित कर राज्य सरकार के नाम पर दर्ज करा दिया। जमीन की कीमत लगभग 350 करोड़ आंकी गई। लगभग 58 बीघा जमीन पूर्व काशी नरेश स्वर्गीय विभूती नारायण सिंह व उनके पुत्र अनंत नारायण सिंह के साथ ही उनके रिश्तेदारों लोगों के नाम से अंकित रही। इसमें काली माता मंदिर परिसर तालाब, कालिका धाम कालोनी, ठाकुर बाग, चकराबाग, बापू बाल विद्या मंदिर जूनियर हाईस्कूल, पुरानी सब्जी मंडी, भैसही के तिवारी का हाता शामिल है। पीपी मीणा ने तर्क दिया कि पूर्व काशी नरेश व उनके पुत्र के नाम जमीन अवैधानिक रूप से दर्ज की गई थी। बीते पांच मार्च को इसकी सुनवाई के बाद उन्होंने उक्त भूमि राज्य सरकार के नाम दर्ज करने का आदेश दे दिया।
भाजपा के जिला पंचायत सदस्य को घोषित कराया भू-माफिया
सकलडीहा एसडीएम के पद पर रहते हुए जिला पंचायत सदस्य गोपाल सिंह को भू-माफिया घोषित करा दिया। एसडीएम की रिपोर्ट पर गोपाल सिंह का नाम भू-माफिया पोर्टल पर दर्ज हो गया। उसने सरकारी तालाब पर अवैध अतिक्रमण कर दो मंजिला मकान बनाया था। इसके अतिरिक्त ग्राम खरेड़ा परगना महुआरी सकलडीहा स्थित आराजी नंबर 95 में अपने वैधानिक रकबे से कहीं अधिक भूमि पर दबंगई से अवैध रूप से कब्जा कर तीन मंजिला भव्य इमारत तैयार कर ली। एसडीएम ने नोटिस जारी करते हुए अवैध निर्माण पर बुल्डोजर चलाने की तैयारी करा ली थी। लेकिन अचानक उनका स्थानांतरण चकिया तहसील में कर दिया गया। चर्चा रही कि कुछ प्रभावशाली लोगों ने एसडीएम का ट्रांसफर कराया था।